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सचिन पायलट ने इस नाम से बनाई नई पार्टी, 11 जून को बड़ा धमाका करने की प्लानिंग!



राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपनी पार्टी का गठन कर लिया है। इसकी औपचारिक घोषणा होनी बाकी है। पार्टी के नाम का भी खुलासा होने का दावा किया जा रहा है। कांग्रेस के लिये खतरे की घंटी यह है​ कि सचिन पायलट 11 जून को अपनी पार्टी के नाम का ऐलान करेंगे। 


'नवभारत टाइम्स' डिजीटल ने कांग्रेस सूत्रों के हवाले से खबर प्रकाशित की है। जिसमें यह दावा किया गया है कि कांग्रेस पार्टी और सचिन पायलट के बीच सुलह के सभी रास्ते बंद हो चुके हैं। खुद सीएम अशोक गहलोत ने भी पायलट की मांगों से किनारा कर लिया है। 


जिसके बाद सचिन पायलट अपनी पार्टी को लॉन्च करने की योजना को अमलीजामा पहनाने का काम कर रहे हैं। 'टाइम्स' ने दावा किया है कि पायलट की पार्टी का नाम 'प्रगतिशील कांग्रेस' होगा और स्व. राजेश पायलट की पुण्यतिथि के मौके पर 11 जून को वह इसका ऐलान करने जा रहे हैं। 


'नवभारत टाइम्स' ने इस खबर में पायलट की पार्टी का दावा किया है।


इससे पहले आपको याद होगा कुछ दिन पूर्व 'न्यूजलॉन्ड्री' न्यूज वेबसाइट ने भी प्रशांत किशोर की आईपैक के कर्मचारियों के हवाले से खबर लिखी थी कि सचिन पायलट की नई पार्टी बन चुकी है, उसके नाम का ऐलान होना बाकी है। 


'न्यूजलॉन्ड्री' की खबर यह है, जिसमें पार्टी का दावा किया गया है।


इससे पहले आपको याद होगा 11 अप्रैल को पायलट ने जयपुर के शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन कर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सरकार के ​कथित भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग की थी। जिसके बाद कांग्रेस में खलबली मच गई थी। 


इस अनशन-धरने के दौरान ही पायलट ने यह संकेत दे दिया था कि वह कांग्रेस से किनारा करते जा रहे हैं। अनशन के दौरान पायलट ने कांग्रेस का चुनाव चिन्ह, सोनिया, राहुल, प्रियंका या कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे की फोटो नहीं लगाई थी। इस अवसर पर उन्होंने केवल महात्मा गांधी की फोटो लगाई थी। 


इसके साथ ही 11 मई को पायलट ने अजमेर में आरपीएससी से जयपुर तक 125 किलोमीटर की पांच दिवसीय यात्रा के दौरान भी संकेत दिया था कि वह कांग्रेस से दूर होते जा रहे हैं। इस दौरान भी कांग्रेस के झंडे से दूरी बनाई गई थी। पायलट ने जो पीला रंग चुना है, वह भी चर्चा का विषय बना हुआ है। 


पायलट के दो बड़े कार्यक्रमों और उसके बाद जयपुर में महापुरा के पास सभा के दौरान भी उन्होंने इसी पीले रंग को महत्व दिया था। इतना ही नहीं, पायलट बीते तीन महीनों से इसी रंग के दुपट्टों के साथ अक्सर दिख जाते हैं, जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। 


दो बड़े कार्यक्रमों के दौरान पायलट के गले का दुपट्टा और कांग्रेस के झंडे से दूरी साफ कर चुकी है कि अब कांग्रेस और पायलट में दूरियां काफी अधिक हो चुकी हैं, जो संभवत: मिटाई नहीं जा सकती हैं। 


इस सभा में पायलट समर्थक मंत्री-विधायक भी शामिल हुए थे। मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने अपनी ही सरकार को अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार करार दिया था और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का अलाइमेंट ठीक करने की पायलट से अपील की थी। 


इस अवसर पर विधायक मुकेश भाकर ने गहलोत पर कई गंभीर आरोप लगाये थे। साथ ही गहलोत से यह भी कहा था कि वह प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कह दे कि जो 10-20 करोड़ के आरोप पायलट समर्थक विधायकों पर लगा रहे थे, वह झूठ है। 


सभा को संबोधित करते हुए चाकसू विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा था कि कई विधायक ऐसे हैं जो पायलट के कारण जीते थे। कांग्रेस को जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिये, अन्यथा काफी देर हो जायेगी। 


वरिष्ठ मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा था कि गहलोत को कुर्सी छोड़ देनी चाहिये, उनकी उम्र हो चुकी है, इसलिये उन्हें युवाओं को मौका दे ना चाहिये। 


हालांकि, पिछले दिनों अशोक गहलोत, सचिन पायलट, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के बीच चार घंटे की मैराथन बैठक दिल्ली में हो चुकी है। 


इस बैठक के बाद पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दायीं तरफ अशोक गहलोत और बायीं तरफ सचिन पायलट को खड़ा कर मीडिया के सामने 'सबकुछ ठीक है' होने का दावा किया था। 


साथ ही यह भी कहा था कि दोनों मिलकर चुनाव लड़ेंगे। तब यह माना जा रहा था कि शायद दोनों नेताओं के बीच सुलह हो गई है। हालांकि, उसी दौरान गहलोत की प्राकृतिक खुशी और पायलट की दिखावटी मुस्कान सबकुछ जाहिर कर रही थी।


किंतु उसके दो ही दिन बाद पायलट ने अपने निर्वाचन क्षेत्र टोंक में पत्रकारों से बात करते हुये साफ किया कि वह अपनी तीनों मांगों से पीछे नहीं हटे हैं, अभी भी उनको सरकार से उम्मीद है कि उनकी मांगों को पूरा किया जायेगा। 


इसके साथ ही उन्होंने फिर दोहराया था कि वह युवाओं से किए अपने वादों से पीछे नहीं हटेंगे। चाहे उनको कुछ भी करना पड़ जाये। यहां पर पायलट अपनी तीनों मांगों को पूरा करने की गहलोत सरकार से फिर मांग की थी। 


अब जिस तरह के दावे विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में किये जा रहे हैं, उससे एक बात साफ हो गई है कि चाहे कुछ भी हो, लेकिन पायलट की पार्टी को लेकर कुछ ना कुछ ऐसा चल रहा है, जिसका आने वाले दिनों बड़ा धमाका होने वाला है। 


चर्चा यह भी है कि पायलट अभी राहुल गांधी के विदेश से लौटने का इंतजार कर रहे हैं, राहुल के वापस आने के बाद उनसे आखिरी मुलाकात करेंगे और फिर कोई घोषणा कर सकते हैं। 


यह भी माना जा रहा है कि भले ही पायलट 11 जून को अपनी पार्टी का ऐलान नहीं करें, लेकिन इतना तय है कि उस दिन कुछ बड़ी घोषणा जरूर करेंगे, तो उनके फैसले की तस्वीर साफ कर देगी। 


इधर, रालोपा संयोजक हनुमान बेनीवाल पहले ही कह चुके हैं कि यदि पायलट अपनी पार्टी बनाते हैं और उनके साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा-कांग्रेस को सत्ता से बाहर बिठाया जा सकता है। 

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