अस्थियां लेने गये तब पता चला डॉक्टर ने कैंची छाती में छोड़ दी, अस्पताल का इनकार, एफएसएल जांच रिपोर्ट का इंतजार





सामान्यत: ऐसा होता नहीं है कि कैंची, जिसे मेडिकल की भाषा में सीजर कहते हैं, जैसी बड़ी चीज हार्ट की ओपर सर्जरी में छाती में ही छूट जाये, किंतु मृतक के परिजनों ने ऐसा ही दावा किया है। जयपुर के जेएलएन मार्ग स्थित प्राइवेट अस्पताल फॉर्टिस में एक रिटायर टीचर की ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी, जिसके 12 दिन बाद मौत हो गई। 


मृतक के परिजनों ने दावा किया है कि रिटायर टीचर उम्र 73 वर्ष, जो कि 73/116, मानसरोवर का रहने वाले थे, अंतिम संस्कार के बाद जब अस्थियां चुनने गये तो वहीं राख में स्टील की जली हुई कैंची मिली। इसके बाद उन्होंने संबंधित थाना पुलिस और अस्पताल में शिकायत दर्ज कराई। 

सामने आया कि बुजुर्ग रिटायर टीचर की आरजीएचएस में सर्जरी हुई थी। मृतक का बेटा कमल दुबई में आईटी कंपनी ने में सीईओ है। मृतक के परिजनों का दावा है कि जब आरजीएचएस में सर्जरी हुई, तो भी डॉक्टर ने 4 लाख रुपये वसूल लिये। उपचार के लिए एनआरआई बेटे कमल ने अस्पताल को पैसे दे ​भी दिये और सर्जरी भी हो गई, किंतु 12 दिन बाद मरीज की मौत हो गई। 


परिजनों का दावा है कि जब तक 4 लाख रुपये अस्पताल में जमा नहीं करवाए, तब तक सर्जरी की ही नहीं। सर्जरी के 12 दिन बाद मरीज की मौत हो गई। परिजनों जब अंतिम संस्कार के बाद राख में अस्थियां चुनने गये, तब उसी राख में स्टील की कैंची मिली। उन्होंने कैंची को लकड़ी से उठाकर पॉलिथीन में रखा और इस मामले में जवाहर सर्किल थाने में लिखित शिकायत दी है। इसके बाद पुलिस ने कैंची अपने कब्जे में लेकर फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री, यानी एफएसएल जांच के लिए भेज दी है।


परिजनों का कहना है कि मृतक पिछले महीने घर के पास की ही एक दुकान से दूध लेने गया था, तब अचानक सांस फूल गई। मरीज को पास में ही टैगोर अस्पताल में दिखाया तो डॉक्टर ने हार्ट सर्जरी कराने की राय दी। इसके बाद उन्होंने फोर्टिस हॉस्पीटल में दिखाया, जहां 30 मई को अस्पताल के डॉ. उपेंद्र चित्तौड़ा ने बायपास सर्जरी की। किंतु 12 जून की रात अचानक तबीयत खराब होने से निधन हो गया। परिजनों ने नीयती मानकर मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया, लेकिन जब अस्थियां चुनने गये, तब थोड़ा सा पानी डालते ही जली हुई काली पड़ चुकी कैंची दिखी।

सर्जरी करने वाले डॉ. चित्तौड़ा का कहना है कि सीजर वो है ही नहीं, जो हार्ट सर्जरी में काम आती है। इस बारे में हॉस्पीटल की ओर से जयपुर सीएमएचओ को सभी तरह के सबूत सौंप दिये गये हैं। मामले की पुलिस जांच कर रही है, जिस कैंची का दावा परिजन कर रहे हैं, वह बाल काटने के काम आती है। 



अस्पताल ने यह दावा किया है कि मरीज की हार्ट सर्जरी होने के बाद पांच—छ बार एक्स रे किया गया था, जिसमें कैंची कहीं पर भी नजर नहीं आ रही है। इसकी भी सभी फिल्म्स और जांच सीएमएचओ को भेज दी गईं है।


इधर, राजस्थान में प्राइवेट अस्पतालों के सबसे बड़े संगठन यूनाइटेड प्राइवेट क्लिनिक्स एण्ड हॉस्पीटल्स एसोसिएशन, यानी 'उपचार' के सचिव डॉ. राजवेंद्र सिंह चौधरी का कहना है कि जिस कैंची का दावा किया जा रहा है, वह इतनी बड़ी है कि सर्जरी के दौरान छाती में छूट ही नहीं सकती। सामान्यत: ऐसी कैंची शमशान घाट में बाल काटने के काम आती है। 


इस पूरे मामले की अब पुलिस जांच कर रही है। सीजर को पुलिस ने एफएसएल जांच के लिए भेज दिया है। जवाहर सर्किल थाना पुलिस का कहना है कि एफएसएल रिपार्ट आने के बाद सबकुछ साफ हो पायेगा। 


एक मान्यता यह है कि कई जगह पर जब मृतक का अंतिम संस्कार किया जाता है, तब उसके बाल काटे जाते हैं और जिस कैंची से बाल काटते हैं, नाई उसको वहीं शमशान घाट में ही छोड़ देता है। हालांकि, इस तरह की मान्यता सभी जगह नहीं होती है, क्योंकि कई जगह शमशान घाट ले जाने से पहले मृतक के बाल घर पर ही काट दिए जाते हैं। 

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