हनुमान बेनीवाल पहले, सचिन पायलट दूसरे, किरोड़ी तीसरे नंबर का लड़ाका योद्धा

इसी सप्ताह विश्व के टॉप नेताओं की रेटिंग जारी की गई है। बीते कई सालों से दुनिया में पहले नंबर के नेता बने नरेंद्र मोदी इस बार भी 78 फीसदी वोटों के साथ पहले नंबर पर हैं। इसके साथ ही अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन टॉप 5 में जगह नहीं बना पाये हैं। यदि आप राजनीति में इंटरेस्ट रखते हैं, तो यह जरूर सोचते होंगे कि पहले नंबर का नेता कौन है? हम दुनिया और देश के नेताओं की रेटिंग तो नहीं निकाल पाते हैं, लेकिन हमारे यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज पर मिले कमेंट्स के आधार पर राजस्थान के टॉप नेताओं की रेटिंग जरूर निकाली है। इसमें आपके द्वारा किए गये कमैंट्स ही एकमात्र आधार है। इसके लिए कोई वोटिंग प्रणाली नहीं अपनाई गई है। केवल सोशल मीडिया पर हमारे वीडियो के नीचे आपके द्वारा किए गये कमैंट्स को ही आधार बनाकर रेटिंग निकाली है। राजस्थान में 17 दिसंबर 2018 को अशोक गहलोत सरकार गठन के बाद भी बीते तीन साल में युवाओं के सबसे पसंदीदा नेता का चुनाव नहीं हो पा रहा था। कारण यह था कि जुलाई 2020 में सचिन पायलट द्वारा अपनी ही सरकार से बगावत करने के कारण युवाओं के चहेते नेता का दायरा बदलता जा रहा था। कभी सचिन पायलट नंबर वन होते थे, कभी हनुमान बेनीवाल तो कभी डॉ. किरोड़ी लाल मीणा भी बाजी मार जाते थे। हर महीने के नतीजों के बाद परिणाम निकलना कठिन था। इसके चलते हमने बीते तीन साल का औसत लेकर उसके अनुसार पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे नंबर के नेता का चयन किया है। वीडियो के नीचे लिखे गये आपके कमैंट्स के कारण बीते तीन साल के औसत नतीजों ने सबको चौंका दिया है।
इसके आधार पर सचिन पायलट ने अप्रैल और मई में सबसे अधिक कमैंट्स हासिल किए, लेकिन जून में उनके बयान बंद रहने और हनुमान बेनीवाल द्वारा लगातार पांच बड़ी रैलियों और धरने—प्रदर्शनों के साथ ही केंद्र सरकार से अपने जिले में बड़े पैमाने पर विकास कार्य करवाने के कारण उन्होंने बाजी मार ली। हालांकि, इस दौरान डॉ. किरोडीलाल मीणा ने भी धरने और प्रदर्शनों के जरिये इन दोनों युवा नेताओं को कड़ी टक्कर दी है। किरोड़ीलाल उन महीनों में पहले पायदान पर थे, तब उन्होंने लगातार अशोक गहलोत सरकार को छकाते हुए वीरांगनाओं के लिए धरना दिया। इसके साथ ही रीट, आरएएस समेत तमाम भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के खुलासे किए तो किरोड़ी लाल मीणा दोनों युवा नेताओं से कोसों आगे निकल गये। इन तीनों नेताओं के अलावा बीच में एक दो माह ऐसे भी आए, तब भाजपा अध्यक्ष रहते हुए डॉ. सतीश पूनियां भी तीनों पर भारी पड़े, लेकिन जैसे ही भाजपा ने अध्यक्ष बदला, वैसे ही अचानक से डॉ. सतीश पूनियां का युवाओं में क्रेज कम होने लगा। बीते तीन साल का औसत इसलिए निकाला गया, क्योंकि इसी दौरान सरकार और विपक्ष के कामकाज का सही से आकलन किया जा सकता है। शुरुआती एक साल में सरकार खुद जहां हनीमून काल में चल रही थी, तो विपक्ष की ओर से भी अपनी सुस्ती दिखाई जा रही थी। उस समय सोशल मीडिया कमेंट्स के आधार पर किसी एक नेता का क्रेज निकलकर सामने नहीं आ रहा था।
हमने 11 जुलाई 2020 से 11 जुलाई 2023 तक, हमारे यूट्यूब और फेसबुक पेज पर मिले कमेंट्स के आधार पर ये रैंकिंग तय की है। इस रैंकिंग में 2020 के दौरान सचिन पायलट सबसे पहले नंबर पर थे। इसके बाद 2021 में किसान आंदोलन के दौरान हनुमान बेनीवाल द्वारा एनडीए का साथ छोड़ आंदोलन में कूद जाने के कारण उनके पक्ष में सबसे अधिक कमेंट्स किए गये। हालांकि, जब किरोड़ी लाल मीणा द्वारा मानगढ़ की पहाड़ी पर सुबह 3 बजे चढ़कर मीन महाराज का झंडा फहरा गया, तो हर कोई चकित रह गया। उस महीने में किरोड़ी लाल मीणा ने बाजी मार ली। सचिन पायलट के साथ मानेसर गये रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह 21 नवंबर 2021 को जब दोबारा मंत्री बनाया गया, तब सचिन पायलट के पक्ष में कमेंट्स की बहार आई। हालांकि, पायलट खुद ने कोई पद नहीं लिया, लेकिन अपने दो साथियों की सरकार में वापसी कराने और बगावत के बाद भी हेमाराम चौधरी व मुरारी लाल मीणा के रूप में दो नये मंत्री बनाने में कामयाब होने के कारण युवाओं ने उनको सोशल मीडिया पर खुब पसंद किया। कोरोना काल के दौरान जब पूरी दुनिया घरों में दुबकी हुई थी, तब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रहते डॉ. सतीश पूनियां की अगुवाई में भाजपा ने जन सहायता का अभियान चलाया और इसके कारण पीएम मोदी ने उनकी टीम के कार्यों की जमकर प्रशंसा की, तब डॉ. सतीश पूनियां को लेकर सबसे अधिक कमेंट्स किए गये। आप खुद देखेंगे कि सचिन पायलट और सतीश पूनियां को लोगों ने अपने—अपने एसपी बोलकर कमेंट्स किये हैं। दूसरी ओर हनुमान बेनीवाल को एचबी और डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को बाबा के निकनेम से संबोधित किया गया है। इन नेताओं के अपने अपने समर्थक हैं और कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो केवल कार्यों के आधार पर ही पसंद करते हैं। ऐसे लोग केवल अच्छे कार्य करने पर ही किसी नेता को लेकर कमेंट्स करते हैं।
इन तीन सालों के दौरान 2020—21 के दौरान जहां सचिन पायलट सबसे आगे रहे, तो दूसरे साल में हनुमान बेनीवाल और किरोड़ी लाल मीणा ने भी बराबर मोर्चा लिया है। तीसरे साल के कमेंट्स बताते हैं कि युवाओं की पहली पसंद वही नेता होता है, तो सड़क पर जनता के लिए लड़ रहा होता है। यही वजह रही कि सचिन पायलट के पक्ष में सबसे अधिक कमैंट्स जुलाई 2020 और मई 2023 में किए गये। इसके अलावा हनुमान बेनीवाल के पक्ष में एनडीए से गठबंधन तोड़कर किसान आंदोलन में कूदने और अग्निवीर को लेकर विरोध करने के दौरान सबसे अधिक कमेंट्स किए गये। किरोड़ीलाल मीणा को मानगढ़ डूंगरी पर चढ़ने और रीट, आरएएस जैसी भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक करने के खुलासे के दौरान खूब कमेंट्स मिले। इसी तरह से सतीश पूनियां को कोरोना के दौरान किए गए कार्यों के कारण सबसे अधिक कमैंट्स प्राप्त हुए। तीनों साल में कुल कमेट्स के आधार पर हनुमान बेनीवाल पहले नंबर पर रहे हैं, जबकि सचिन पायलट ने तीन साल अशोक गहलोत से लोहा लेकर दूसरा स्थान हासिल किया। इसी तरह से युवाओं के मुद्दों पर खुलासा करने वाले डॉ. किरोड़ीलाल मीणा कमेंट्स के आधार पर तीसरे नंबर पर आते हैं। अध्यक्ष रहते भाजपा के संगठन को वसुंधरा राजे की छाया से बाहर निकालने और अपने सरल स्वभाव के कारण हर किसी के लिए हमेशा सुलभ रहने वाले डॉ. सतीश पूनियां को चौथा स्थान मिला है।
अब सवाल यह उठता है कि जब भर्ती परीक्षाओं में धांधली को लेकर सबसे अधिक खुलासे डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने किए हैं, तो वह पहले पायदान पर क्यों नहीं हैं? दरअसल, किरोड़ी लाल मीणा ने केवल पेपर लीक को लेकर ही पूरा फोकस किया है। इसके अलावा अन्य मुद्दों पर उन्होंने कम ध्यान दिया है। साथ ही केंद्र सरकार के खिलाफ अग्निवीर योजना के दौरान भी उनकी चुप्पी युवाओं को अखरी है। राज्य में जब पूर्व सरकार द्वारा युवा विरोधी कार्यों को लेकर वसुंधरा राजे को टारगेट किया जाता है, तब भी डॉ. किरोड़ीलाल मीणा का चुप रहना युवाओं को अच्छा नहीं लगा है। किसान आंदोलन, अग्निवीर योजना समेत केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन वाले मुद्दों पर चुप रहने के कारण डॉ. मीणा को तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा है। इसी तरह से सचिन पायलट ने गहलोत सरकार पर परोक्ष और मोदी सरकार पर कुछ मौकों पर प्रत्यक्ष हमले तो किए, लेकिन भाजपा ने उनको कुर्सी हथियाने का स्वार्थ बोलकर प्रचारित किया, जिसके कारण उनके समर्थक युवाओं को छोड़कर कोई भी अधिक नहीं बोल पाया है। किसान आंदोलन और अग्निवीर जैसी युवाओं से जुड़ी योजनाओं को लेकर केंद्र सरकार पर जितने हमले हनुमान बेनीवाल ने किए हैं, उसके मुकाबले भी सचिन पायलट कम ही बोले हैं, इसलिए वह इस मोर्चे पर कमजोर साबित हुए हैं।
दूसरी बात यह भी है कि राज्य में पेपर लीक और भर्ती परीक्षाएं रद्द होने के मामले में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार पर जितने हमले राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने किए हैं, उसके मुकाबले टोंक विधायक सचिन पायलट काफी पीछे छूट जाते हैं। मोटे पर पर देखा जाये तो सचिन पायलट पार्टी लाइन के लिए मोदी सरकार पर कुछ मौकों पर किए गए हमलों के अलावा गहलोत के साथ जंग और युवाओं को लेकर मई के महीने में लगाए गए आरोपों के कारण ही सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर पाये हैं। हनुमान बेनीवाल के पहले नंबर पर होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि वह हर मुद्दे पर खुलकर बोलते हैं। चाहे केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बोलना हो, सेना भर्ती के नये मॉडल अग्निवीर योजना को लेकर मोदी सरकार पर हमले करना हो या फिर भी अशोक गहलोत सरकार की नाकामी के कारण पेपर लीक के चलते युवाओं के मुद्दों पर बोलना हो अथवा बजरी माफिया को लेकर जून से आंदोलन के जरिये जनता के बीच बैठ जाना हो, हर बार हनुमान बेनीवाल ने युवाओं का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
इसके साथ ही हनुमान बेनीवाल की खुद की क्षेत्रीय पार्टी होने और राज्य में 6 उपचुनाव के दौरान अपने उम्मीदवार उतारकर भाजपा—कांग्रेस के खिलाफ धुँवाधार प्रचार करने के कारण युवाओं के साथ ग्रामीण क्षेत्र में भी हनुमान बेनीवाल को लेकर क्रेज बरकरार रहा है। हनुमान बेनीवाल को हर मुद्दे पर बोलने का सबसे अधिक फायदा मिला है। चाहे केंद्र सरकार की नाकामी के कारण उसकी आलोचना करना हो या राज्य सरकार की विफलता के कारण अशोक गहलोत पर हमले करना हो, हर बार उन्होंने खुलकर लोगों के सामने अपनी बात रखी है। युवाओं को सबसे अधिक वही नेता पसंद आता है, जो अपनी बात खुलकर रखता है और गलत को गलत कहने से नहीं झिझकता है। भाजपा—कांग्रेस के नेताओं द्वारा कई बार हनुमान बेनीवाल को एक जाति में बांधने का भी खूब प्रयास किया गया, लेकिन जोधपुर के भूंगरा गैस त्रासदी के समय सबसे पहले लोकसभा में मामले को उठाने और मुआवजे की मांग करने के कारण सोशल मीडिया पर राजपूत समाज ने भी उनको भरपूर समर्थन दिया है। इसी तरह से दलित समाज से आने वाले पुखराज गर्ग को पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष बनाकर इस समाज में भी अपनी पेठ बनाई है। राज्य में दलित समाज पर होने वाले अत्याचारों पर सबसे पहले बोलने वाले हनुमान बेनीवाल ने पश्चिमी राजस्थान में कांग्रेस के वोट बैंक में जोरदार घुसपैठ की है।
इसी तरह से जब बात पेपर लीक की आई, तो भी बेनीवाल ने कोई झिझक नहीं दिखाई। भर्ती परीक्षाओं के नाम पर धोखा करने वाली सरकार के खिलाफ बोलने के कारण युवा वर्ग ने बेनीवाल के पक्ष में जमकर कमेंट्स किये हैं। सबसे अधिक युवा वर्ग के कमेंट्स उन्हें अग्निवीर योजना को लेकर संसद में विरोध करने और मीडिया को अपने बयान देने के कारण मिले हैं। इन्हीं चार मुद्दों को लेकर सर्वाधिक कमेंट्स हासिल कर हनुमान बेनीवाल पहले नंबर पर रहे हैं।
चुनाव में अब केवल पांच महीने का समय बचा है और इस दौरान एक चार महीने के कमेंट्स के आधार पर चुनाव से ठीक पहले एक और रेटिंग जारी करेंगे। यदि आपका भी राजस्थान में कोई पसंदीदा लीडर है तो उसके पक्ष में हमारे यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज पर अधिक से अधिक कमैंट्स कर आप भी अपने नेता को नंबर एक बनाने का प्रयास कर सकते हैं। राज्य विधानसभा के लिए होने वाले मतदान से ठीक दस दिन पहले हम राज्य के टॉप 10 लड़ाका नेताओं की रेटिंग जारी कर बताएँगे कि कौन नेता सब पर भारी पड़ा है?

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