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सचिन पायलट बाहर, अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में ये नेता



राजस्थान कांग्रेस के दो बड़े नेताओं की करीब पांच साल चली लंबी लड़ाई के बाद सत्ता से कांग्रेस बाहर हो गई तो साथ ही सीएम की कुर्सी के लिए लड़ने वाले अशोक गहलोत और सचिन पायलट भी राजस्थान से बाहर हो गए हैं। गहलोत को जहां इंडिया गठबंधन का कन्वीनर बना दिया गया है, तो सचिन पायलट को भी राष्ट्रीय महासचिव बनाकर छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाकर राजस्थान से बाहर निकाल लिया गया है। 
करीब पांच महीने बाद होने वाले आम चुनाव के लिए दोनों नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह बात सही है कि यदि ये दोनों नेता साथ आकर पूरी ताकत से चुनाव लड़ते तो परिणाम की तस्वीर बदल सकती थी, किंतु गहलोत कुर्सी छोड़ना नहीं चाहते थे और पायलट ने साफ कर दिया था कि यदि कुर्सी गहलोत को नहीं छोड़ती है तो जनता से छुड़वा देंगे। 
आखिरकार दोनों की इच्छा पूरी हो गई। गहलोत को कुर्सी ने छोड़ दिया और पायलट ने गहलोत को कुर्सी से हटा दिया।
अब सवाल यह उठता है​ कि जब राज्य में नई सरकार बनी है और 19 जनवरी से ​पहला बजट सत्र शुरू होने वाला है, तब कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष कौन होगा? गहलोत पायलट के राजस्थान से बाहर हैं और गोविंद सिंह डोटासरा पार्टी अध्यक्ष हैं। ऐसे में सदन के भीतर फ्लोर मैनेजमेंट का काम कौन संभालेगा? इस रेस में पहले सचिन पायलट सबसे आगे थे, लेकिन उनको छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाने के बाद वो रेस से बाहर हो गए हैं। अब हरीश चौधरी, शांति धारीवाल, महेंद्रजीत सिंह मालवीय और सीकर विधायक राजेंद्र पारीक का नाम चल रहा है।

इन सभी नेताओं में उम्र के हिसाब से धारीवाल सबसे बुजुर्ग हैं। 80 वर्षीय धारीवाल पहली बार लोकसभा का चुनाव जीते थे। इसके अलावा 5 बार विधायक रह चुके हैं। गहलोत की तीनों ही सरकारों में यूडीएच मंत्री रहे हैं। किंतु 22 सितंबर की बगावत के कारण वो आलाकमान की नजर में गद्दार हैं। इसलिए धारीवाल का नंबर आना कठिन है।
महेंद्रजीत सिंह मालवीया बांसवाड़ा से सांसद रहे हैं। इसके अलावा बागीदौरा सीट से लगातार जीत रहे हैं। लेकिन उनका पूरे राजस्थान में प्रभाव कम ही है। सत्ता पक्ष को घेरने के हिसाब से कमजोर पड़ सकते हैं। इसलिए मालवीय इस रेस में पीछे ही माने जा रहे हैं। 

हरीश चौधरी सांसद रहे हैं, लगातार विधायक हैं और काफी गंभीर होने के साथ ही गहलोत के मुखर विरोधी भी रहे हैं। मुद्दों के आधार पर बात करते हैं, व्यक्तिगत हमलों से बचकर रहते हैं। हाल ही में उनको पंजाब के प्रभार से भी मुक्त किया गया है। किंतु गोविंद सिंह डोटासरा के अध्यक्ष रहते उनको नेता प्रतिपक्ष बनाना आसान नहीं है। डोटासरा को अध्यक्ष से हटाने के बाद उनको नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है। हरीश चौधरी के अलावा इसी रेस में राजेंद्र पारीक का भी नाम लिया जा रहा है, जो अनुभवी भी हैं और सीकर से लगातार जीतकर आए हैं। विपक्ष की मुखर आवाज बन सकते हैं, जो पूर्व में सदन में सभापति बनकर संचालन का अनुभव भी रखते हैं। 

किंतु राजेंद्र पारीक से कांग्रेस को वोटों में लाभ नहीं होगा, इसलिए पारीक को नेता बनाया जाएगा, इस​में भी संशय है। हालांकि, कांग्रेस के पास अधिक विकल्प नहीं हैं। इसलिए नेता प्रतिपक्ष इनमें से ही कोई नेता बनेगा। सबसे अधिक हरीश चौधरी, गोविंद सिंह डोटासरा, राजेंद्र पारीक और शांति धारीवाल में से किसी एक के बनने की संभावना है। यदि हरीश चौधरी को बनाया जाएगा तो गोविंद सिंह डोटासरा को अध्यक्ष पद से मुक्त किया जाएगा और यदि डोटासरा को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाएगा तो भी उनको अध्यक्ष पद से हटाया जाएगा। इसलिए राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बदलने की भी पूरी संभावना है।

अध्यक्ष के रूप में हरीश चौधरी, अशोक चांदना, महेंद्रजीत मालवीय जैसे नेताओं का नाम सबसे आगे है। हरीश चौधरी का अनुभव उनको सबसे आगे करता है, लेकिन डोटासरा को यदि नेता प्रतिपक्ष बनाया गया तो हरीश चौधरी को अध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा। इस रेस में अशोक चांदना का नाम भी सबसे आगे की पंक्ति में है, जो पूर्व में यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। अभी यूथ कांग्रेस अध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया हैं, इसलिए भी अशोक चांदना पार्टी अध्यक्ष हो सकते हैं। 

अशोक चांदना को सत्ता और संगठन, दोनों का अनुभव है। इसलिए उनको अध्यक्ष बनाकर युवाओं में जोश भरने का काम किया जा सकता है। सत्ता में रहते डोटासरा ने खानापूर्ति कर ली, लेकिन अब उनको अध्यक्ष रखेंगे तो जोश दिखाना होगा, और यदि अध्यक्ष बदला जाता है तो अशोक चांदना का नंबर आ सकता है। पार्टी मुकेश भाकर जैसे नेता को भी जिम्मेदारी दे सकती है।

कुल मिलाकर राजस्थान भाजपा का पूरा मुखड़ा बदल चुका है। सत्ता बदल चुकी है और आम चुनाव सिर पर हैं, इसलिए कांग्रेस को भी अब बड़े फैसले लेने होंगे, अन्यथा भाजपा की रणनीति के आगे टिक पाना मुश्किल हो जाएगा।

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