जोधपुर के 23 वर्षीय रमेश बिश्नाई के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं हैं। हमने सोशल मीडिया के माध्यम से रमेश के बारे में जाना और निकल पड़े जोधपुर के लिए। पूरी रात ट्रेवल करने के बाद सुबह 5 बजे जोधपुर पहुंचे, जहां हमने माहेश्वरी समाज की धर्मशाला में विश्राम किया। करीब तीन घंटे की नींद के बाद हमने आगे की यात्रा शुरू की।
पूरे दिन जोजरी नदी की खबर करने के बाद शाम को करीब 8 बजे फिर उसी माहेश्वरी समाज की धर्मशाला में पहुंचे। रात का भोजन लिया और दिनभर की बातों का रिव्यु करने के बाद सो गये। सुबह करीब 8 बजे अगले दिन की यात्रा पर निकले। दोपहर बाद करीब 5 बजे हमारी मुलाकात रमेश से हुई, जो जोधपुर के बाहरी इलाके में एक तरणताल में तैरना सीखने आये थे।
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यहीं पर हमने रमेश से उनके जीवन के बारे में सुना और समझने का प्रयास किया। इसका एक वीडियो हमने रिकॉर्ड किया। रमेश ने अपने जीवन का सच भी बताया और उनका आत्मविश्वास इस बात की गवाही दे रहा थाा कि बिना हाथों के भी जीवन को जीया जा सकता है। आप यदि पूरा वीडियो देखना चाहते हैं तो उपर दिये लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं।
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