राजस्थान की राजनीति को हिला देने वाले 2020 के कथित “सरकार गिराने की साजिश” मामले पर आज निर्णायक मोड़ आ गया। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की क्लोज़र रिपोर्ट स्वीकार करते हुए साफ कहा है कि इस पूरे मामले में कोई ठोस सबूत नहीं मिला। अदालत ने सभी अभियुक्तों — जिनमें सचिन पायलट का नाम भी राजनीतिक विवादों में उछला था — को क्लीन चिट दे दी।
क्या था मामला?
साल 2020 में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच गहराते मतभेदों ने कांग्रेस सरकार को संकट में डाल दिया था।
- जुलाई 2020 में राजस्थान पुलिस की SOG ने तीन FIRs दर्ज कीं।
- इनमें आरोप लगाया गया कि कुछ नेताओं और कारोबारियों ने भाजपा से मिलकर कांग्रेस विधायकों को तोड़ने की साज़िश रची।
- अशोक गहलोत ने सीधे-सीधे उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट पर सरकार गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
- स्पीकर C. P. Joshi ने 19 विधायकों को नोटिस जारी किए।
अदालत और जांच की पूरी टाइमलाइन
- 10 जुलाई 2020: SOG ने पहली FIR दर्ज की, दो गिरफ्तारियाँ हुईं।
- 14 जुलाई 2020: स्पीकर ने पायलट समेत 19 विधायकों को नोटिस थमाए।
- 24 जुलाई 2020: राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पीकर की कार्रवाई पर रोक लगाई।
- 27 जुलाई 2020: सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।
- 6 अगस्त 2020: गहलोत सरकार ने देशद्रोह (sedition) की धाराएँ हटाईं, जांच ACB को सौंपी।
- 8 अगस्त 2020: ACB ने सबूत न मिलने पर फाइनल रिपोर्ट दाखिल की।
- 16 सितंबर 2025: हाईकोर्ट ने क्लोज़र रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और सभी को क्लीन चिट दी।
नेताओं की भूमिकाएँ और बयान
- अशोक गहलोत (मुख्यमंत्री, 2020): आरोप लगाया था कि पायलट भाजपा से मिलकर सरकार गिराने की तैयारी कर रहे थे।
- सचिन पायलट (तत्कालीन उप मुख्यमंत्री): आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उनका संघर्ष केवल सम्मान और संगठन की भूमिका को लेकर है।
- C. P. Joshi (स्पीकर): बागी विधायकों को नोटिस जारी कर सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़े।
- महेश जोशी (कांग्रेस विधायक): उन्होंने ही शिकायत दर्ज करवाई थी, जिस पर FIR दर्ज हुई।
हाईकोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट ने ACB की क्लोज़र रिपोर्ट को सही ठहराते हुए कहा कि:
- किसी विधायक को रिश्वत या पद का प्रलोभन दिए जाने का सबूत नहीं मिला।
- ऑडियो क्लिप्स और कॉल इंटरसेप्ट जैसे साक्ष्य कानूनी तौर पर टिकाऊ नहीं हैं।
- अभियुक्तों पर लगाए गए आरोप निराधार हैं, इसलिए सभी को क्लीन चिट दी जाती है।
राजनीतिक असर
इस फैसले से यह साफ हो गया कि 2020 की पूरी “सरकार गिराने की साजिश” केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित थी।
- सचिन पायलट गुट इसे अपनी नैतिक जीत बताएगा।
- गहलोत खेमे के लिए यह बड़ा झटका है, क्योंकि अदालत ने उनके लगाए आरोपों को आधारहीन साबित कर दिया।
- कांग्रेस पार्टी के भीतर यह फैसला आने वाले समय में शक्ति संतुलन और नेतृत्व विवाद पर असर डाल सकता है।
यह फैसला न केवल राजस्थान की राजनीति में नया मोड़ है बल्कि यह भी दिखाता है कि राजनीतिक संकटों में किए गए आरोप हमेशा अदालत की कसौटी पर खरे नहीं उतरते।
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