मीडिया के बदलते परिवेश में आद्य पत्रकार नारदजी का स्मरण करना बहुत जरूरी : सुनील आंबेकर

नारद जयंती व पत्रकार सम्मान समारोह . तीन पत्रकारों को मिला नारद सम्मान जयपुर । विश्व संवाद केन्द्र की ओर से नारद जयंती व प्रदेश स्तरीय पत्रकार सम्मान समारोह सोमवार अपराह्न मालवीय नगर स्थित नारद सभागार में सम्पन्न हुआ। समारोह के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि मीडिया के बदलते दौर व समाचारों की भीड़ में आज आदि पत्रकार नारदजी का स्मरण करना बहुत जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा लोगों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ नहीं बल्कि राष्ट्र के स्व का भाव मन में लेकर आंदोलन किया था, लेकिन स्वाधीनता तभी सही मायनों में स्थापित होगी जब हम स्व के भाव से राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए काम करेंगे। आंबेकर ने कहा आज कई विषयों पर विमर्श चल रहा है, ऐसे में हमें भविष्य बनाने के लिए इतिहास को जानना जरूरी हो गया है। राष्ट्र किसी को पूजने से नहीं हजारों वर्षों की साधना से बनता है और उसके लिए देश जागरण की आवश्यकता है, इसके लिए मीडिया को अपनी भूमिका निभानी चाहिए। आंबेकर ने कहा कि मीडिया को सनसनी के लिए झूठ फैलाने की बजाय सकारात्मक बातों को समाज के सामने लाना चाहिए। आज देश में बहुत अच्छे और सकारात्मक काम भी हो रहे हैं, उन्हें बढ़ावा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा पत्रकार भी एक सामाजिक कार्यकर्ता होता है, ऐसे में उसके प्रोफेशन में देशहित व समाजहित भी होना चाहिए। समाज में विवाद पैदा करने वाले विषयों के बचना चाहिए, लेकिन तुष्टिकरण के मुद्दे जो पर्दे के पीछे दबाए जाते हैं उनके बारे में भी समाज को सच्चाई पता चलनी चाहिए। पत्रकारों के लिए मन में सम्मान हो उन्होंने कहा प्रजा जागरूक हो और नई पीढ़ी को नेतृत्व के लिए आगे बढ़ना चाहिए। उस वक्त पूरे समाज को सतत रूप से जागरूक करने का काम नारदजी ने किया था, ऐसे में जीवन के हर क्षेत्र में लीडरशीप मिलनी चाहिए। समाज को दिशा देने में मीडिया की सकारात्मक भूमिका होनी चाहिए। उन्होंने कहा राजस्थान में ऐसे पत्रकार भी हैं जो बिना किसी दबाव के विभिन्न विषयों का सत्य सामने लाने का काम करते हैं। वहीं कश्मीर से आंतक व छत्तीसगढ से माओवाद की खबरें देने वाले पत्रकारों के लिए भी मन में सम्मान होना चाहिए।
सत्य जाने बिना समाचार आगे नहीं बढाएं उन्होंने कहा स्वाधीनता आंदोलन के दौर में पत्रकारिता बहुत प्रतिष्ठित थी क्योंकि उस दौर के सभी क्रांतिकारी कहीं न कहीं लेखन करते थे और संसाधनों की कमी के बावजूद व्यापक प्रचार- प्रसार भी करते थे, लेकिन उस वक्त मीडिया को कुचला गया। ऐसे में उस समय की पत्रकारों को आज याद करना बहुत जरूरी है। नारदजी के आदर्श को भी सामने रखना जरूरी है, क्योंकि उनका मंतव्य था कि समाचारों में जानकारी सही होनी चाहिए। आज लोगों तक सत्य पहुंचाना चुनौतीपूर्ण हो गया है जबकि पूर्ण सत्य को जाने बिना समाचार आगे नहीं बढ़ना चाहिए। संघ की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता- छाबडा समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठतम पत्रकार प्रवीणचंद्र छाबड़ा ने कहा देश में 1945 से 51 तक संक्रमण काल रहा, उसे भुलाया नहीं जा सकता। आजादी के आंदोलन में वीर सावरकर, नेहरू, गांधी व सुभाषचंद्र बोस का अविस्मरणीय योगदान था, लेकिन आज प्रगतिशील लोग उनके लिए कुछ भी लिख व बोल देते हैं, जबकि हमें उनके योगदान को पढ़ना चाहिए। आजादी के समय से ही देश में हिन्दू पुनरूत्थान की बात शुरू हो गई थी, जिसमें संघ की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जेईसीआरसी के वीसी अमित अग्रवाल ने भी सम्बोधित किया। नारद नाटिका का मनमोहक मंचन कार्यक्रम की शुरूआज में डॉ. अंकित पारीक की टीम ने नारद नृत्य नाटिका की प्रस्तुति देकर सभागार में मौजूद लोगों को भाव विभोर कर दिया। टीम ने कथक नृत्य के जरिए आदि पत्रकार देवर्षि नारद के जीवन चरित्र व हनुमानजी द्वारा दीक्षा ग्रहण संवाद का मंचन किया गया। इसके बाद समारोह समिति के संयोजक मनोज माथुर ने नारद जयंती व पत्रकार सम्मान कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी। इन पत्रकारों का सम्मान किया कार्यक्रम में दैनिक भास्कर के कार्टूनिस्ट चंद्रशेखर हाड़ा, जी राजस्थान न्यूज के आशीष चौहान व ईटीवी भारत के पत्रकार विनय पंत को बतौर नारद सम्मान शॉल, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

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