भारत से दो साल छोटा चीन कैसे बन गया सुपर पॉवर?

Ram Gopal Jat
चीन भारत से दो साल छोटा है। भारत 1947 में आजाद हुआ था, जबकि चीन को 1949 में आजादी मिली थी। इसके बावजूद आज चीन, भारत से अधिक ताकतवर है, अधिक पॉवरफुल है, तेजी से विकास करने में कामयाब कैसे रहा है? इस बात की तस्दीक करने के लिये हमने कुछ उदाहरणों के जरिये जानने का प्रयास किया है। चीन ने कैसे 73 साल में दूनिया की दूसरी ताकत बनते हुये अमेरिका का पछाड़ने की तैयारी की है? एक दिन पहले ही ​चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साफ कर दिया है कि चीन में जो कोई रह रहा है, उसको चीन की सरकार के अनुसार रहना होगा, उसको वही नियम कठोरता से मानने होंगे, जो कम्यूनिस्ट पार्टी की जिनपिंग सरकार बनायेगी। आज चीन में में उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर चीन कई बार दुनियाभर में चर्चा में रहा है। जबकि, चीन ने कभी भी इस पर कोई भी सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बताया है कि चीन का मुसलमान कैसा होना चाहिए? उन्होंने प्रशासन को बकायदा आदेश दिया है कि इस्लाम को चीन की परंपराओं और समाज के मुताबिक ढालने की कोशिश करें।
शिनजियांग प्रदेश के दौरे पर पहुंचे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीनी मुस्लिमों को लेकर कई बातें कही हैं। यह वही शिनजियांग है जहां उइगर मुस्लिमों की संख्या सबसे ज्यादा पाई जाती है। चीनी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिनपिंग अपने चार दिन के दौरे पर शिनजियांग पहुंचे हैं। जिनपिंग ने यहां अपने अधिकारियों से कहा है कि इस्लाम को चीन के अनुकूल बनना चाहिए और समाजवादी ढांचे को अपनाना चाहिए। जिनपिंग ने चीन के लिए मजबूत सामुदायिक भावना को बढ़ावा देने समेत अलग-अलग जातीय समूहों के बीच लेन-देन, बातचीत और एकीकरण को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। मुसलमानों को चीन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बढ़ानी चाहिए। इसके साथ ही उन्हें अन्य समुदाय के साथ संवाद स्थापित करने के लिए काम करना चाहिए। धार्मिक मामलों में शासन क्षमता में सुधार लाने और धर्मों के स्वस्थ विकास को साकार करने की आवश्यकता है।
चीनी मुस्लिमों को चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा अपनाए जा रहे समाजवादी समाज के अनुकूल होना चाहिए। धर्म को मानने वाले लोगों की सामान्य धार्मिक जरूरतों को सुनिश्चित किया जाना चाहिए और उन्हें पार्टी और सरकार के करीब एकजुट होना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस्लाम को सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों के अनुरूप ढालने की कोशिश कर रहे हैं। यह भी बात कई बार सामने आ चुकी है कि चीन स्थित शिविरों में उइगर मुसलमानों को सामूहिक रूप से कैद कर यातना दी गई है। हालांकि, चीन ने लगातार मुसलमानों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
असल में चीन दुनिया में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है, जिसकी इस समय कुल जनसंख्या 142 करोड़ से ज्यादा है। चीन ने साल 1949 में आजाद होने से लेकर अब तक बहुत जबरदस्त तरक्की की है, जिसकी वजह से आज ड्रेगन की अर्थव्यवस्था सबसे अच्छी मानी जाती है। चीन दुनिया का दूसरा सबसे शक्तिशाली देश बन गया है। अमेरिका में सबसे पुराना लोकतंत्र है, भारत भी चीन से दो साल पहले आजाद हो गया था, जबकि ब्रिटेन ने दुनिया के कई देशों पर राज किया, लेकिन चीन ने केवल 73 साल में इतनी प्रगति की है, जो कई देशों के लिये केवल सपने जैसा है।
चीन में तानाशाही शासन होने के लोग बेहद अनुशासित और कर्मशील माने जाते हैं, जिसके कारण देश का विकास तेज गति से हो रहा है। चीन आज दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश है, वह भारत में सबसे अधिक इलेक्ट्रनिक आइटम बेचने वाला देश है, चीन के भारत में सेकड़ों मोबाइल ऐप्स काम करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि चीन में दूसरे देशों के एप्स पूरी तरह से बैन हैं? कई ऐसी चीजें, जिसका इस्तेमाल आप अपनी दैनिक उपयोग करते हैं, चीन में उनपर भी बैन है। भले ही आज आप दिन का सबसे अधिक समय फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम पर बिताते होंगे, लेकिन चीन में ये सब बैन हैं। यहां तक कि मैसेजिंग एप्प वॉट्सऐप और गूगल भी आते हैं।
चीन ने वॉट्सऐप को 23 सितंबर 2017 को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया था। आप कुछ भी ढूंढ़ते हैं तो गूगल का सहारा लेते हैं, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि चीन में दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन गूगल पूरी तरह से बैन है। चीन ने गूगल को 2014 में ब्लॉक किया था। इसके अलावा गूगल डॉक्स और गूगल प्लस को चीन ने वर्ष 2011 में ही ब्लॉक कर दिया गया था। गूगल से जुड़ी साइट्स जी-मेल, पिकासा, गूगल मैप्स सभी चीन में ब्लॉक हैं। चीन ने 2009 में फेसबुक को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया था। चीन के युवा केवल अपने देश के एप्स काम लेते हैं।दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले चीन ने ट्विटर को भी ब्लॉक किया हुआ है। ट्विटर को जून 2002 में ब्लॉक किया गया था। यहां ट्विटर को बैन करने के बाद भी 10 लाख यूजर्स VPN के जरिए इसका इस्तेमाल करते हैं। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स जैसे कुछ संस्थानों को इस्तेमाल करने की छूट है।
भारत में तमाम सेलेब्रेटीज इंस्टाग्राम को लेकर बहुत ज्यादा क्रेजी रहते हैं, जिसके जरिये फोटो शेयरिंग, वीडियो अपलोडिंग का काम किया जाता है, लेकिन चीन में इंस्टाग्राम भी बैन है। चीन की सरकार ने 19 सितंबर 2014 को ही इंस्टाग्राम बैन कर दिया था। चीन में कई ऐसी वेबसाइट्स जिनको शुरू होते ही बैन किया गया है, जिनमें से एक पॉर्नोग्राफी से संबंधित वेबसाइट भी हैं। साथ ही वो वेबसाइट भी ब्लॉक की गई हैं, जो की कॉम्यूनिस्ट पार्टी की आलोचना करती हैं या फिर मानवाधिकार जैसे मुद्दों से जुड़ी होती हैं। इसके साथ ही बीबीसी, कलह, ड्रॉपबॉक्स, Netflix, लिंक्डइन, रॉयटर्स, अर्थशास्त्री, न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट, Google खोज सेवाएं, reddit, यूट्यूब, ज़ूम, विकिपीडिया और कई डोमेन चीन में पूरी तरह से बैन हैं।
आप सोच रहे होंगे कि चीन अपने यहां पर इन वैश्विक एप्लिकेशंस को बैन क्यों कर रखा है? चीन में अपने मोबाइल एप्लीकेशन हैं, अपने मैसेजिंग एप्स हैं और खुद के सोशल मीडिया साइट्स हैं,​ जिनका बाहरी दुनिया से कोई कनेक्शन नहीं है। एक तरह से चीन की साइबर सिक्योरिटी इतनी टाइट है कि इसको आईसालेटेड साइबर सिक्योरिटी भी कहा जाता है। ऐसा नहीं है कि चीन किसी देश के डेटा का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। चीन में सरकार जिस एप या वेबसाइट का इस्तेमाल कर किसी भी देश के बारे में जानकारी ले सकती है, लेकिन आमजन के लिये सबकुछ प्रतिबंधित हैं। चीन के सैकंड़ों मोबाइल एप्लीकेशन भारत सरकार ने पिछले दो साल में बैन की हैं, लेकिन फिर भी जाने कितने ही एप्स भारत में इस्तेमाल हो रहे हैं, जिनके द्वारा वह आसानी से भारत की साइबर सिक्योरिटी में सेंधमारी कर लेता है। यही कारण है कि पिछले साल उसने लद्दाख में एक पॉवर ग्रिड को ही कंट्रोल कर लिया था।
भारत में भी साइबर सुरक्षा को अब नेशनल सिक्‍योरिटी बनाने का काम किया जा रहा है। इसको लेकर एक अलग से विभाग शुरू किया गया है। चीन की सेना और वहां के विदेश मंत्रालय के पास ऐसे हथियार मौजूद हैं, जो युद्ध के मैदान में जाए बिना ही दुश्‍मन को पस्‍त कर सकते हैं। इसलिए भारत अब चीन को हल्‍के में न लेने की गलती नहीं करना चाहता है। भारत में लोकतंत्र है और इसके चलते नागरिकों को कई तरह के अधिकारी मिले हुये हैं। यही कारण है कि सरकार के खिलाफ कभी भी आंदोलन, धरना, प्रदर्शन, रैली, अनशन हो जाते हैं। यहां तक कि कई उग्र संगठन दंगा कराने, सरकारी व निजी संपत्ति में तोड़फोड़ करने के बाद भी बच निकलते हैं, लेकिन शायद आपको पता होगा कि चीन में कोई भी व्यक्ति सरकार का किसी भी तरह से विरोध नहीं कर सकता है। चीन की सरकार जो आदेश निकालती है, उसको तुरंत प्रभाव से मानना ही होता है।
भारत में राजनीतिक पार्टियां सरकारी नौकरी का वादा करती हैं और सरकार बनने के बाद उसके अनुरूप नौकरी देने का काम भी करती हैं, लेकन चीन में सरकारी सेवाएं नहीं हैं। वहां पर केवल ठेका प्रथा है, जो व्यक्ति अच्छा काम करता है, उसको एक साल और ठेका दिया जाता है, जो अच्छा काम नहीं करता, उसको तुरंत हटा दिया जाता है। भारत के करोड़पति—अरबपति भले ही अकूत पैसा जुटाकर अपनी इच्छा से निवेश करने या उसको दान देने का अधिकार रखते हों, लेकिन चीन में ऐसा नहीं है। चीन में कोई भी अरबपति सरकार की मंशा के खिलाफ कुछ नहीं कर सकता। आपको याद होगा पिछले साल अलीबाबा ग्रुप के संस्थापक जैक मा को सरकार ने एक छोटे से बयान के उपर नजरबंद कर दिया था। उसके बाद जैक मा बिलकुल भी बयान नहीं देते हैं।

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