राज्यपाल जगदीप धनकड़ कैसे बने मोदी के पसंदीदा उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार?

Ram Gopal Jat
उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में मुख्तार अब्बास नकवी से लेकर आरिफ खान चर्चाओं में शामिल थे, लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि जगदीप धनखड़ मार गए बाजी? लिहाजा बाबोसा यानी भैंरुसिं​ह शेखावत के बाद धनकड़ साहब बनेंगे राजस्थान से दूसरे उपराष्ट्रपति....अगर जेपी धनकड़ बने उपराष्ट्रपति तो राज्यसभा और लोक सभा की कमान एक ही समय में संभालेंगे दो राजस्थानी..... वह कहते हैं ना जहां न पहुंचे मालगाड़ी वहां पहुंचे मारवाड़ी..... पहले राष्ट्रपति पद पर द्रोपति मुर्मू का नाम आगे करके मोदी शाह ने ना केवल सबको चौकाया, बल्कि उपराष्ट्रपति पद पर जगदीप धनखड़ का नाम आगे करके एक बार फिर मास्टर स्ट्रोक लगा दिया? मोदी शाह ने उपराष्ट्रपति पद के लिए जेपी धनकड़ का नाम आगे करके एक तीर से कई निशाने लगा देने की कहानी वीडियो में आगे बताएंगे, उससे पहले आप जगदीप धनखड़ की राजनीतिक कैरियर के बारे में जान लीजिए....
जगदीप धनखड़ राजस्थान के झुंझुनू जिले के किसान परिवार में जन्मे। वे बीते तीन दशक से अधिक समय से सार्वजनिक जीवन में हैं, साल 1989 के लोकसभा चुनाव में झुंझुनू से सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया. इसके बाद, उन्होंने 1990 में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया. 1993 में वे अजमेर जिले के किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गए. जुलाई 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था, जहां उन्होंने कड़ी मेहनत की और लोक कल्याण के मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए एक जनता के राज्यपाल के रूप में अपनी पहचान बनाई.
जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने का पहला कारण तो यह है कि धनखड़ राजस्थान के रहने वाले हैं, किसान परिवार से हैं और जाट समुदाय से आते हैं। मोदी सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन में जाट किसान भी बड़ी तादाद में शामिल थे। इसके अलावा राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोटर्स और किसानों की संख्या अच्छी-खासी है। कई निर्वाचन क्षेत्रों में जाट वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। राजस्थान में तो अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं। गौर करने वाली बात यह है कि धनखड़ की उम्मीदवारी का एलान करते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें 'किसान पुत्र' कहकर संबोधित किया।
धनकड़ की दावेदारी का दूसरा कारण यह है कि ममता का मुकाबला करने की क्षमता और जाट नेता होने की वजह से धनखड़ भाजपा के लिए उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में पहली पसंद बने। दरअसल, बंगाल में जहां-जहां भाजपा नहीं पहुंच पाई, वहां धनखड़ ने बतौर राज्यपाल ने संवाद साधने की कोशिश की। दूसरी तरफ, जब एक और जाट नेता वर्तमान में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक केंद्र सरकार के खिलाफ इन दिनों मुखर हैं तो धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने जाट समुदाय को साधने की कोशिश की है। इसके अलावा धनकड़ के गृह जिले और शेखावाटी रीजन में हनुमान बेनीवाल मौजूदा दौर में जाट समाज के नेता बने हुए हैं, लेकिन अब भाजपा इस इलाके में अपना जनाधार बढ़ाने में कामयाब हो सकती है. हालांकि, झुंझुनू लोकसभा सीट की मौजूदा वक्त में भाजपा के नरेंद्र खीचड़ सांसद हैं.
तीसरा कारण यह है कि धनखड़ पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के करीबी रहे हैं। वे वीपी सिंह के दौर में जनता दल में थे। खास बात यह है कि वे भाजपा और आरएसएस की मूल विचारधारा से नहीं आते, बल्कि किसान राजनीति से आते हैं। वे संवैधानिक पदों पर रहकर चुप रहने वाले नेता नहीं, बल्कि अहम मुद्दों पर अपनी टिप्पणी देने वाले नेता के तौर पर जाने जाते हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में देश की राजनीति में उपराष्ट्रपति पद की अहमियत भी बढ़ेगा. वर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है। उपराष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना पहले ही जारी हो चुकी है और नामांकन की अंतिम तारीख 19 जुलाई है। चुनाव छह अगस्त को होगा। ब्यूरो रिपोर्ट सियासी भारत

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