भारत बनेगा हिंदू राष्ट्र और मुसलमानों को नहीं होगा वोटिंग अधिकार

Ram Gopal Jat
भारत अपने स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण कर चुका है। आजादी के 75 साल को सरकार आजादी का अमृत महोत्सव कहकर मना रही है। यह पूरे सालभर चलने वाली श्रंखला है, जिसमें कई कार्यक्रम हैं। आजादी के करीब ढाई साल बाद देश में संविधान लागू हुआ था, जिसको देश ने 26 जनवरी 1950 को अंगीकार किया था। इसके अर्थ यह है कि भारत के संविधान को लागू हुये अभी 73 साल भी पूरे नहीं हुये हैं, लेकिन इसको बदलने का समय आ गया है। आखिर क्या कारण है कि संविधान में बदलाव करने की जरुरत दिखाई पड़ रही है? कौन है, जो संविधान को बदलने का प्रयास कर रहा है? आखिर क्यों देश को एक नये संविधान की जरुरत पड़ रही है? क्या भारत का वर्तमान संविधान पुराना और निर्थक हो गया है? या ​फिर एक वर्ग विशेष कोई षड्यंत्र कर रहा है? और क्या भारत का संविधान बदला जा सकता है? इन सभी सवालों के जवाब जानेंगे, किंतु उससे पहले यह जान लीजिये कि नया संविधान लिखने की प्रक्रिया चल रही है, उसमें क्या डवलेपमेंट हो रहा है?
साधु—संतों और विद्वानों का एक वर्ग 'हिंदू राष्ट्र के रूप में भारत के संविधान' का मसौदा तैयार कर रहा है। अगले साल माघ मेले के दौरान आयोजित होने वाली 'धर्म संसद' में इसे पेश किया जाएगा। इस वर्ष फरवरी में आयोजित हुए माघ मेले के दौरान भारत को अपने स्वयं के संविधान के साथ एक 'हिंदू राष्ट्र' बनाने के लिए धर्म संसद में एक प्रस्ताव पारित किया गया था। वाराणसी स्थित शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा है कि अब शाम्भवी पीठाधीश्वर के संरक्षण में 30 लोगों के समूह द्वारा इस "संविधान" का एक मसौदा तैयार किया जा रहा है। यह संविधान 750 पृष्ठों का होगा और इसके प्रारूप पर अब व्यापक रूप से चर्चा की जाएगी। धार्मिक विद्वानों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श और वाद-विवाद होगा। इसी आधार पर प्रयागराज में होने वाले माघ मेला-2023 में आधा संविधान, यानी करीब 300 पेज का संविधान जारी किया जाएगा, जिसके लिए 'धर्म संसद' का आयोजन किया जाएगा।
इस संविधान के अबतक 32 पेज तैयार किए गए हैं, जिनमें शिक्षा, रक्षा, कानून-व्यवस्था, मतदान की व्यवस्था समेत अन्य विषयों से जुड़े पहलू शामिल हैं। इस हिंदू राष्ट्र संविधान के अनुसार दिल्ली के बजाय वाराणसी देश की राजधानी होगी। इसके अलावा काशी में 'धर्म संसद' बनाने का भी प्रस्ताव है। मसौदा तैयार करने वाले समूह में हिंदू राष्ट्र निर्माण समिति के प्रमुख कमलेश्वर उपाध्याय, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील बीएन रेड्डी, रक्षा विशेषज्ञ आनंद वर्धन, सनातन धर्म के विद्वान चंद्रमणि मिश्रा और विश्व हिंदू महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह सहित अन्य शामिल हैं।
इस संविधान के कवर पेज पर 'अखंड भारत' का नक्शा होगा। यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार जैसे अन्य देशों को भारत से अलग कर दिया गया है, जो एक दिन विलय हो जाएंगे। हर जाति के लोगों को राष्ट्र में रहने की सुविधा व सुरक्षा मिलेगी और अन्य धर्मों के लोगों को मतदान करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हिंदू राष्ट्र के संविधान के मसौदे के अनुसार मुस्लिम और ईसाई वोट देने के अधिकार को छोड़कर एक आम नागरिक के सभी अधिकारों का आनंद लेंगे। मुस्लिम और ईसाई धर्म के मानने वालों को भी देश में व्यवसाय करने, रोजगार पाने, शिक्षा और किसी भी आम नागरिक द्वारा प्राप्त सभी सुविधाओं का लाभ उठाने की आजादी होगी लेकिन उन्हें अपने मताधिकार का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
नागरिकों को मतदान का अधिकार 16 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद प्राप्त होगा, जबकि चुनाव लड़ने की आयु 25 वर्ष निर्धारित की गई है। 'धर्म संसद' के लिए कुल 543 सदस्यों का चुनाव किया जाएगा। दंड की न्यायिक प्रणाली त्रेता और द्वापर युग पर आधारित होगी। गुरुकुल प्रणाली को पुनर्जीवित किया जाएगा और आयुर्वेद, गणित, नक्षत्र, भूगर्भ, ज्योतिष आदि की शिक्षा दी जाएगी। इसके अलावा प्रत्येक नागरिक को अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण मिलेगा और कृषि को पूरी तरह से कर मुक्त किया जाएगा। हालांकि, अभी तक संविधान तैयार नहीं हुआ है और अगले साल होने वाले माघ मेला 2023 में आधा संविधान पेश किया जायेगा, किंतु इसके पूरा होने के बाद ही पता चलेगा कि आखिर पूरा संविधान है क्या? अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या मुस्लिम और ईसाई धर्म के मानने वालों को मताधिकार से वंचित किया जा सकता है, जिनकी आबादी करीब 17 फीसदी से भी अधिक है? देश के 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक है और उन राज्यों में क्या ऐसा संविधान लागू किया जा सकता है, जिसमें वहां की बहुसंख्यक आबादी को वोटिंग राइट ही नहीं होगा? बाकी चीजें तो अभी सामने नहीं आई हैं, किंतु इस सवाल पर सबसे अधिक बवंडर हो जायेगा। और वैसे भी वर्तमान संविधान में संशोधन करने के तमाम अधिकार संसद को हैं, तो फिर नये संविधान की जरुरत क्यों है?
इस भावना को समझने से पहले हमें आजादी के पहले और उसके बाद वाले उस इतिहास को जानना होगा, जिसमें हिंदूओं में हीन भावना भरने का प्रयास किया गया है। देश की आजादी से पहले जब अंग्रेजों, कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच बंटवारे को लेकर समझौता हुआ था, तब यह तय किया गया था कि भारत में हिंदू रहेंगे और पाकिस्तान मुसलमानों के लिये अलग देश बनेगा। बंटवारे के बाद जब पाकिस्तान से हिंदूओं को भारत में पलायन और भारत से मुसलमानों को पाकिस्तान में पलायन हो रहा था, तब गांधी ने यह अपील की थी कि जो मुसलमान भारत में रहना चाहता है, वह रह सकता है। 1951 की जनगणना के अनुसार भारत में 9.49 फीसदी, यानी 3.54 करोड़ मुसलमान थे, जो आज करीब 17 प्रतिशत से अधिक हो चुके हैं।
तब से लेकर अब तक सवाल यह उठता है कि जब मुसलमानों को अलग देश दे दिया गया था, तो फिर उनको यहां पर रुकने की अपील क्यों की गई? आखिर क्यों उनको पाकिस्तान जाने दिया गया? यही सवाल आज तक हिंदू राष्ट्र के समर्थक उठा रहे हैं, क्योंकि भारत से अलग होकर बना पाकिस्तान और बंग्लादेश इस्लामिक देश हैं, तो फिर भारत क्यों नहीं हिंदू राष्ट्र होना चाहिये, जो आजादी के समय हिंदूओं के लिये ही बचा था। जिन साधु संतों के द्वारा धर्म संसद का आयोजन किया जाता है और देश को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिये नये संविधान की रचना की जा रही है, उनका यही तर्क है कि भारत का जब बंटवारा धर्म के नाम पर हो चुका है, तो फिर भारत हिंदू राष्ट्र क्यों नहीं बनना चाहिये?
एक बार के लिये यह मान भी लिया जाये कि नया संविधान लागू हो जायेगा, तो क्या यह संभव है कि देश की करीब 25 करोड़ आबादी से मतदान का अधिकार छीनकर इसे लागू किया जा सकता है? दूसरा सवाल यह है कि क्या वर्तमान संविधान को हटाना संभव है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। तीसरी बात यह है कि क्या भारत को हिंदू राष्ट्र बना देने से समस्याओं को समाधान हो जायेगा? क्या सभी हिंदू भी यह चाहेंगे कि भारत हिंदू राष्ट्र बन जाये? इसलिये यह कहना गलत नहीं होगा कि धार्मिक संगठनों के द्वारा जो किया जाता है, वह संबंधित धर्म के लिये होता है, देश के लिये नहीं। क्योंकि देश संविधान और कानून से चल रहा है, किसी धर्म की मान्यताओं और परंपराओं से नहीं। इस​लिये भले ही धर्म संसद में नया संविधान का मसौदा पेश किया जायेगा, लेकिन इसको फिलहाल एक दो दशक तक तो लागे किया जाना मुमकिन नजर नहीं आता है।

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