भाजपा—कांग्रेस में नेता एक गाड़ी पर क्या संदेश दे रहे हैं?

Ram Kishan Gurjar
राजनीति में अक्सर नेता इशारों में बहुत कुछ बोलते हैं और दिखाने का प्रया करते हैं, लेकिन कई मायनों में राजस्थान की भाजपा या कांग्रेस, दोनों की कहानी एक सी नजर आती है...... मसलन जैसे भाजपा से लेकर कांग्रेस दोनों पार्टी में गुटबाजी होना...... मुख्यमंत्री बनने को लेकर कशमकश होना, तो दूसरी तरफ सीएम फेस बनने के लिए भागदौड़ करना भाजपा नेता भले ही आल इस वेज कहकर खबरें छुपाते हों, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष सतीश पूनिया के बीच खेमेबाजी किसी से छिपी नहीं है..... दूसरी तरफ सत्ताधारी कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच बीते चार साल से जारी शीत युद्ध जगजाहिर है.
जब 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी विपक्ष में थी..... तब पार्टी आलाकमान ने चुनाव से पहले कई ऐसे प्रयोग किए, जिससे पब्लिक में यह मैसेज जाए कि राजस्थान कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है, हम सब एक हैं..... इसी के लिए तब कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे से डिनर डिप्लोमेसी से लेकर चुनावी सभाओं में सब नेताओं के एक बस में खास करके सचिन पायलट और अशोक गहलोत को एक ही सीट पर बैठाने जैसे कार्य किये......दोनों नेताओं को एक ही बाइक पर सवार करके दोनों के एक होने का मैसेज सोशल मीडिया पर जमकर वायरल किये, लेकिन अंतत: हुआ क्या? उससे देश प्रदेश की जनता अनभिज्ञ नहीं है। करीब पौने चार साल बीतन के बाद भी पायलट—गहलोत विवाद जस का तस है, दोनों में आज भी सीएम बनने की जंग अनवरत जारी है।
पायलट और गहलोत की मोटरसाइकिल पर वायरल करवाई गई तस्वीरों की तरह ही अब जोधपुर से आई एक तस्वीर लगातार वायरल हो रही है, जिसमें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया बुलैट चलाते दिख रहे हैं, तो उनके पीछे केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत बैठे हुए हैं. इस फोटो—वीडियो में डॉ. पूनिया ने शेखावत के सारथी की भूमिका निभाई. भाजपा दिग्गजों की यह बुलैट सवारी सियासी चर्चा का विषय बन गई है. इस घटना के बाद से लगातार सोशल मीडिया पर गहलोत—पायलट और पूनियां—शेखावत की तस्वीरें सजने लगीं और मीम्स भी सामने आने लगे हैं.
यही नहीं, इस वायरल तस्वीर यानि डॉ. पूनिया और शेखावत की इस जुगल जोड़ी ने साल 2018 का वो दौर याद दिला दिया है, जब पायलट के हाथों में बाइक की कमान थी और गहलोत उनके पीछे बैठे थे. वो दौर ऐसा था, जब फिजाओं में पायलट की ताजपोशी की चौतरफा चर्चा थी. ठीक चुनाव से पहले की ये तस्वीर थीं, जो एकता का मैसेज देने की कोशिश थी. लोगों को लगा था कि अब युवा पायलट को प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. हालांकि, डॉ. पूनियां और शेखावत के बीच कोई जंग नहीं है, कोई मनमुटाव नहीं है, कोई कंपीटिशन दिखाई नहीं देता है, लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया के लिये ये तस्वीरें उसी तरह से स्वादिष्ट हैं, जैसे पायलट—गहलोत की तस्वीरें थीं।
बहरहाल, डॉ. सतीश पूनिया को बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने चुनाव तक फ्री हैंड दे दिया है, साफ कह दिया है कि चुनाव उनके नेतृत्व में ही सम्पन्न कराया जाएगा. सब ये भी जान रहे हैं कि सीएम रेस सतीश पूनियां के साथ ही वसुंधरा राजे और गजेंद्र सिंह शेखावत भी शामिल हैं. यही कारण की सोशल मीडिया पर यह कहा जाने लगा है कि राजनीति की मोटरसाइकिल पर पीछे बैठने वाले ही फायदे में रहते हैं. लेकिन यह सियासत है, इसमें कब कौन आगे बैठ जाये और आगे बैठा हुआ कब पीछे रह जाये, कोई नहीं बता सकता.
लिहाजा भाजपा आलाकमान में गृहमंत्री अमित शाह से लेकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजस्थान भाजपा के नेताओं को भी नसीहत दे रखी है कि जब भी मिलने का मौका आये, तब सबको दिखाओ की हम एक हैं..... इसलिए जब—जब नेताओं को मौका मिलता है, तब—तब एकता दिखाने की कोशिश करते हैं. बहरहाल, अब इन नेताओं कि एकता क्या रंग दिखाती है, यह तो 2023 के विधानसभा चुनाव परिणामों में ही स्पष्ट हो पाएगा. और तभी यह पता चलेगा कि कौन नेता फ्रंट सीट पर बैठता है और कौन पीछे रह जाता है।

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