भारत के जैम्स बॉन्ड ने अमेरिका को कर दिया क्लीन बोल्ड

Ram Gopal Jat
भारत के जैम्स बॉन्ड, यानी केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का दर्जा रखने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अमेरिका को क्लीन बोल्ड कर दिया है। अमेरिका को इस बात की जरा भी भनक नहीं लगी कि अजीत डोभाल क्या खेल करने जा रहे हैं। उन्होंने अमेरिका के दुश्मन नंबर एक, यानी रूस में राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की सरकार में उपप्रधामनंत्री और रूस के एनएसए से मुलाकात की है। इसकी जानकारी जैसे ही पश्चिम मीडिया को लगी तो वह भारत सरकार पर टूट पड़ा है। ऐसा लग रहा है कि पिछले कुछ समय से मोदी सरकार की विदेश नीति को अमेरिका और नाटो देश समझ ही नहीं पा रहे हैं। उपर से प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रियों की चाल को समझना अमेरिका के बस से बाहर हो गया है।
रूस यूक्रेन युद्ध के इस दौर में पहले अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने भारत द्वारा रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने का विरोध किया, तो उसका सटीक और तार्किक जवाब देकर विदेश मंत्री सुब्रम्ण्यम जयशंकर ने अमेरिका समेत पूरे यूरोप की बोलती बंद कर दी। अब मोदी के सबसे करीबी सलाहकार अजीत डोभाल ने रूस जाकर एक तरह से अमेरिका पर रणनीतिक स्ट्राइक कर दी है। भारत में बैठे कुछ अमेरिकी व चीी समर्थक लोगों को भी इस बात की भनक नहीं थी कि मोदी के खास अजीत डोलाल क्या खेल करने वाले हैं।
असल में जब से अफगानिस्तान पर तालिबान का शासन आया है, तब से भारत का सिरदर्द बढ़ गया है। तालिबान और भारत में वैसे तो सीधे तौर पर कोई लड़ाई नहीं है, लेकिन तालिबान आईएसआई के इशारों पर चलता है। इसलिये भारत को चिंता है कि कहीं आईएसआई ने अपने आतंकी अफगानिस्तान में नहीं छिपा दिये हों, जो बाद में कभी भी भारत के खिलाफ जिहाद छेड़ सकते हैं। तालिबानी शासन ने रूस से दोस्ती बढ़ाई और कहा है कि अमेरिका ने अफगानिस्तान को बर्बाद कर दिया और पड़ोसी होने के नाते वह अफगानिस्तान की मदद करे। भारत ने रूस से मिलकर तालिबान को यही समझाने का प्रयास किया है कि वह मदद चाहे भारत से ले या रूस से, लेकिन पाकिस्तानी आतंकियों को अपने यहां पर ना तो शरण देगा और ना ही उनकी किसी तरह की मदद करेगा।
इधर, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जो कहा, उसपर चीन भी सहमत हो गया है। जयशंकर ने एक मंच पर फिर से कहा है कि दुनिया का कोई भी देश आज अपने नागरिकों को सुविधाएं देने के लिये बेहतर सौदे कर रहा है। वह इसके लिये किस देश से संबंध रखेगा और किससे नहीं, यह तो वह खुद ही तय करेगा। इसलिये भारत अगर रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीद रहा है तो कौनसा गुनाह कर रहा है? विदेश मंत्री जयशंकर के इस बयान का चीन ने भी समर्थन किया है। चीन के विदेशी मंत्री वांग यी ने कहा है कि भारत यदि रूस से सस्ता तेल आयात कर रहा है तो यह उसका हक है, इसमें किसी को क्या एतराज हो सकता है।
इसके साथ ही जयशंकर ने कहा है कि 21वीं सदी एशिया की होगाी, जिसमें भारत जैसे लोकतांत्रिक देश ना केवल विकसित होंगे, बल्कि आने वाले समय में भारत फिर से विश्व गुरू बनेगा। चीन ने जयशंकर के बयान से सहमति जताई है। भले ही सीमा विवाद के कारण भारत और चीन के बीच राजनीतिक स्तर पर एक तरह से बातचीत बंद हो, लेकिन चीन का इस तरह से भारत पक्ष में बयान देना चीन की आने वाले समय में बदलती रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। वैसे भी ताइवान और चीन के विवाद में भारत ने चीन का साथ नहीं दिया, बल्कि परोक्ष रुप से ताइवान की मदद की है। इसलिये चीन जानता है कि जैसे रूस का सहयोग करके भारत ने अमेरिका को एक तरह से चित्त कर दिया है, ठीक वैसे ही यदि भारत ने ताइवान का साथ दिया तो हो सकता है ताइवान के खिलाफ चीन के मंसूबे पूरे ही नहीं हों। आमतौर पर देखा जाता है कि अमेरिका द्वारा आंख दिखाने का पर दुनिया का कोई देश आंख मिलाने की हिम्मत नहीं करता था, लेकिन रूस और युक्रेन युद्ध ने अमेरिका की पोल खोलकर रखी दी है। खासतौर पर भारत ने जिस तरह के तेवर दिखाये हैं, उससे अमेरिका की हकिकत सामने आ रही है।
अमेरिका लाख कोशिशों के बाद भी भारत रूस संबंधों को रोक नहीं पा रहा है। इस युद्धकाल में भारत ने रूस से कच्चे तेल के अलावा बड़े पैमाने पर फर्टिलाइजर और रक्षा उपकरण आयात किये हैं, जो दोनों देशों के बीच मजबूत दोस्ती को दर्शाता है। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों को सबक सिखाने के लिए भारत की सेना के जंगी बेड़े में कई हथियार, मिसाइलें शामिल हैं। भारत का एस400 की पहली खेप मिल चुकी है, जबकि रूस ने वादा किया है कि युद्ध के बावजूद भारत को सौदे के तहत एस400 की पूरी खेप 2030 तक दे दी जायेगी। इसके बाद भारत की पाकिस्तान व चीन की तरफ सीमा पूरी तरह से सील हो जायेगी, जहां से कोई भी लड़ाकू विमान गुजर नहीं पायेगा। जो भी सीमा की तरह बढ़ेगा, उसको हवा में मार दिया जायेगा।
इसी कड़ी में भारत अपनी सामरिक शक्ति बढ़ाने के लिए रूस से खतरनाक टीयू-160 बॉम्बर को खरीदने की योजना बना रहा है। यह बॉम्बर इतना खतरनाक है कि इसकी पहली उड़ान से ही अमेरिका परेशान हो गया था। टुपोलेव टीयू-160 की टॉप स्पीड 2220 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह विमान 1 लाख 10000 किलोग्राम के कुल वजन के साथ उड़ान भरने में सक्षम रहता है। इसके पंखों का फैलाव 56 मीटर है। इस जंगी विमान ने 16 दिसंबर 1981 को पहली बार उड़ान भरी थी। रूसी सेना में इस समय 17 टीयू-160 स्ट्रैटजिक बॉम्बर हैं, इन्हें अपडेट किया जा रहा है। साल 2015 में रूसी स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स की घटती फ्लीट को देखते हुए टीयू-160 को अपग्रेड कर दोबारा सर्विस में शामिल कर लिया गया।
माना जा रहा है कि अजीत डोभाल की रूस यात्रा में इस विमान के सौदे को अंतिम रूस दिया जाना भी शामिल है। जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था, तब पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को यह लगा था कि अब परोक्ष रुप से वही अफगानिस्तान पर राज करेगी, लेकिन तालिबान के रूस से ज्यादा अच्छे संबंध हैं, इसलिये पाकिस्तान के मंसूबे धरे के धरे ही रह गये। भारत ने रूस के माध्यम से तालिबान के साथ संबंध बनाकर उसे पाकिस्तानी आतंकियों को शरण नहीं देने के लिये तैयार कर लिया है।
अजीत डोभाल और एस जयशंकर के रुप में भारत के दो बड़े रणनीतिकार मंत्री जहां विदेश में भारत की छवि और मित्रता को प्रगाढ़ करने का काम कर रहे हैं, तो देश के भीतर गृहमंत्री अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चाण्क्य बनकर जम्मू कश्मीर को फिर से पटरी पर लाने के लिये चुनाव कराने की तैयारी कर रहे हैं। विपक्षी दलों में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने की होड़ लगी हुई है। जबकि खुद को सबसे बड़ा दावेदार बताने वाले दिल्ली जैसे अर्द राज्य के कट्टर ईमानदार सीएम केजरीवाल के सबसे कट्टर ईमानदार मंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई ने लुक आउट नोटिस जारी हो गया है। इसका मतलब यह है कि सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई को कुछ ऐसे ठोस सबूत हाथ लगे हैं, जिनके दम पर मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया जाना सुनिश्चित हो गया है।
आने वाले दिनों में भारत के भीतर और बाहर बहुत कुछ होने वाला है। कुछ लोगों का यह मानना है कि 2024 के चुनाव से पहले मोदी सरकार जहां जम्मू कश्मीर के चुनाव समपन्न करवाकर देश को एक सकारात्मक संदेश देना चाहेगी, वहीं राम मंदिर का उद्घाटन कर हिंदूओं की आस्था को भी चरम सीमा पर ले जाया जायेगा। साथ ही विदेश में भी भारत सरकार कुछ बड़ा खेल करने जा रही है, जिसके दम पर मोदी सरकार पर देशवासियों को भरोसा पक्का हो जाये।

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