पाकिस्तान टूटा तो भारत को बड़ा फायदा होगा?

Ram Gopal Jat
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर गोलीबारी के बाद पड़ोसी देश में हालात और खराब हो गये हैं। पाकिस्तान की आम आवाम ने शाहबाज शरीफ सरकार, सेना और शासन को पूरी तरह से नकार दिया है। आज के हालात पूरी तरह से इमरान खान के पक्ष में हैं। हालांकि, कुछ महीनों पहले जब इमरान खान को सत्ता से बेदखल किया गया था, तब भी पाकिस्तान कर्ज के तले डूबा हुआ था और आज भी भंयकर मंदी की चपेट में है। फिर भी पाकिस्तान के लोगों को लगता है कि इमरान खान ने यदि सत्ता संभाली तो वह देश भी बेहतर ढंग से संभाल लेंगे।
पाकिस्तान में आज लगभग वैसे ही हालात हैं, जैसे भारत में 2014 के चुनाव से पहले थे। हर ​तरफ निराशा, भ्रष्टाचार का बोलबाला और अर्थव्यवस्था की दयनीय हालत। भाजपा ने तब मोदी को ब्रांड बनाकर उतारा और पूर्व बहुमत की सरकार बनाई। हालांकि, मोदी के साथ प्लस पॉइंट यह था कि वह उससे पहले गुजरात में अपना चमत्कार करीब 13 साल के शासन में दिखा चुके थे। किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री के लिये सबसे जरुरी चीज है अपनी जतना में आशा का भाव पैदा कर देना। उसके बाद जनता कभी विद्रोह नहीं करती, वह खुद कर्मयोगी बन जाती है और सत्ता से भी बहुत उम्मीदें हो जाती हैं। कहते हैं कि आशा की किरण जहां दिखाई देती है, वहां पर पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है, जिससे व्यक्ति कर्म करने के लिये प्रेरित होता है। इसके बाद वह सत्ता से कम उम्मीद करता है और खुद से अधिक आशा के साथ जान लगाकर काम करता है।
कहते हैं कि बीते आठ साल में मोदी सरकार ने अधिक कुछ किया हो या नहीं, लेकिन इतना जरुर किया है कि अपने कार्यों और बयानों से देश की जनता में आशा का संचार किया है। इसके चलते भारत में लोग पहले के बजाये अधिक सकारात्मक सोच के साथ काम करते दिखाई देते हैं। जबकि पाकिस्तान के हालात इससे उलट हैं। इमरान खान के सत्ता से हटते ही पाकिस्तान भयानक महंगाई की चपेट में आ गया। आज पाकिस्तान उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जहां पर महंगाई पर काबू पाने का सरकार के पास कोई इलाज ही नहीं है। यानी महंगाई पाकिस्तान में लाइलाज बिमारी बन चुकी है। शाहबाज शरीफ के सत्ता संभालने के बाद पाकिस्तान को एक के बाद एक, कई झटके लगे।
पहले उसको सउदी अरब से कर्ज देने के बजाये पुराना कर्जा मांग लिया, फिर उसको सबसे अधिक कर्ज देने वाले चीन ने हाथ खींच लिये। साथ ही पाकिस्तान में अपनी योजना, सीपीईसी में निवेश को लेकर भी संशय पैदा कर दिया। नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान की सेना के पास तनख्वाह देने के भी पैसे नहीं बचे। एक तरफ जहां शाहबाज शरीब पैसों के लिये चीन के आगे हाथ फैला रहे हैं, तो सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा अमेरिका जाकर मदद की भीख मांग रहे हैं। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान का खजाना पूरी तरह से खाली हो गया है। फौज अगर कमजोर पड़ गई तो परमाणु अस्त्र का ब्रह्मास्त्र निरर्थक हो जाएगा। ऐसी हालत में कुछ लोगों का मानना है कि अमेरिका और भारत मिलकर कब पाकिस्तान के टुकड़े कर देंगे, कुछ पता नहीं।
पाकिस्तान के सत्तारुढ़ और विपक्षी नेताओं में इस बात को लेकर वाकयुद्ध चल पड़ा है कि क्या पाकिस्तान के तीन टुकड़े हो जाएंगे? इमरान खान ने एक साक्षात्कार में कह दिया कि अगर फौज ने सावधानी नहीं बरती तो पाकिस्तान के तीन टुकड़े हो सकते हैं। उनका अभिप्राय यह था कि शाहबाज़ शरीफ प्रधानमंत्री के तौर पर कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। देश में महंगाई, भुखमरी और गरीबी तेजी से बढ़ रही है। पाकिस्तान की फौज इतने बुरे हालात पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं?
जिस फौज ने इमरान खान को सत्ता से धकियाया, उसी फौज से वे पाकिस्तान को बचाने का अनुरोध कर रहे हैं। हालांकि, आजकल वह फौज के खिलाफ भी लोगों को भड़का रहे हैं। इमरान के बयान पर पूर्व राष्ट्रपति आसिफ जरदारी ने कहा कि वे नरेंद्र मोदी की भाषा बोल रहे हैं। शाहबाज शरीफ आजकल तुर्की, सउदी अरब, चीन जैसे देशों में भागदौड़ कर रहे हैं। वह कह रहे हैं कि मैं देश के बिगड़े हुए हालात को काबू करने के लिए बाहर दौड़ रहा हूं और इमरान गलतबयानी करके कह रहे हैं कि पाकिस्तान का हाल सीरिया और अफगानिस्तान की तरह हो रहा है।
इमरान ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान का खजाना खाली हो गया है, उसके पास अपने फौजियों को समय पर तनख्वाह देने के लिये पैसे ही नहीं हैं। पाकिस्तान में यह धारणा बनती जा रही है कि यदि फौज कमजोर पड़ गई तो परमाणु अस्त्र का ब्रह्मास्त्र निरर्थक हो जाएगा। ऐसी हालत में अमेरिका और भारत मिलकर कभी भी पाकिस्तान के टुकड़े कर देंगे। इमरान को अगला चुनाव जीतना है। इस लक्ष्य को पाने के लिए यह जरूरी है कि वह अमेरिका और भारत को खूब कोसें, लेकिन जहां तक पाकिस्तान के तीन टुकड़े होने का सवाल है, सच्चाई तो यह है कि उसके तीन नहीं, चार टुकड़े करने की मांग बरसों से हो रही है, और इसकी संभावना धीरे धीरे तेज होती जा रही है। जैसे जैसे पाकिस्तान कमजोर होगा, वैसे वैसे उसके टुकड़े होने की तरफ बढ़ता रहेगा।
जब केंद्र की सरकार थोड़ी कमजोर दिखाई पड़ती हैं तो पाकिस्तान के टुकड़ों की मांग जोर पकड़ने लगती है। पाकिस्तान में चार प्रांत हैं, और चारों को चार अलग देश बनाने की मांग उठती है। पख्तूनिस्तान, बलूचिस्तान, सिंध और पंजाब के रुप में पाकिस्तान की पहचान है। पंजाब सबसे अधिक शक्तिशाली, संपन्न, बहुसंख्यक और शासन में आगे है। इन प्रांतों में प्राकृतिक दृष्टि से सबसे संपन्न बलूचिस्तान है, जहां पर पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि चीन जैसे देश भी खनन कार्य युद्ध स्तर पर करते हैं, लेकिन यहां की आबादी को इसका कोई फायदा नहीं मिलता है। गिलगिट बाल्टिस्तान के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं। उनको ना समय पर पूरी बिजली मिलती है और ना ही दूसरी सुविधाएं हैं। ऐसे में कई बार वहां के नेता भारत में मिलने की बात कहते हैं। गिलगिट आंदोलन के एक नेता ने भारत में आकर बकायदा उसे टैकओवर करने तक की गुहार लगाई है।
कई पठान, बलूच और सिंधी नेता भी इस तरह की बातें करते रहते हैं। पर कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के तीन या चार टुकड़े होना न उनके लिए फायदेमंद है, न भारत के लिए। ऐसा मानना है कि अभी तो भारत को सिर्फ एक पाकिस्तान से व्यवहार करना पड़ता है। टुकड़े हो गये तो फिर चार-चार पाकिस्तानों से जूझना पड़ेगा और यह भी देखना पड़ेगा कि उनके आपसी दंगल की आग कहीं भारत को न झेलनी पड़ जाए। भारत को मध्य एशिया और यूरोप के रास्तों की भी किल्लत बढ़ जाएगी। इसके अलावा इन सब छोटे-मोटे देशों की आर्थिक स्थिति बिगड़ती चली जाएगी, जिसका बोझ भी आखिरकार भारत को ही सम्हालना पड़ेगा। इसके अलावा स्वयं पाकिस्तान एक कमजोर और भूखा देश बन जाएगा। भारत तो चाहता है कि उसके सारे पड़ौसी देश संपन्न और सुरक्षित रहें। वे टूटे नहीं, बल्कि एक-दूसरे के साथ जुड़ते चले जाएं। लेकिन पाकिस्तान के टुकड़े होने के दावे ने सब तरफ चिंता बढ़ा दी है।
पाकिस्तान के टुकड़े होने से केवल भारत को ही परोक्ष नुकसान नहीं होगा, बल्कि चीन को सीधे तौर पर अरबों डॉलर का नुकसान होगा। चीन की सीपेक परियोजना पाकिस्तान के चारों प्रांतों से होकर गुजरती है। अभी उसको केवल पाकिस्तान से डील करनी पड़ती है, उसी की मांग पूरी करनी होती है। यदि पाकिस्तान टुकड़ों में बंट गया तो उसको चार चार देशों की मांग पूरी करनी होगी। बलूचिस्तान तो पहले चीन की इस परियोजना का मुखर विरोधी रहा है। गिलगिट के लोग भी चीन की हरकतों को पसंद नहीं करते हैं। सिंध सबसे समृद्ध प्रांत होने के कारण चीन की योजना से बाहर निकलना चाहेगा। इसलिये पाकिस्तान के टुकड़े होने से भारत के सामने जितनी चुनौती है, उससे अधिक चीन के समक्ष है।
पाकिस्तान की सत्ता और चीन की सरकार वैश्विक स्तर पर कई बार आरोप लगाती है कि भारत के द्वारा ही पाकिस्तान में इंसरजेंसी पैदा की जाती है। पाकिस्तान सत्ता का मानना है कि भारत अब पाक से जम्मू कश्मीर का बदला ले रहा है। यह माना जाता है कि पाकिस्तान ने लंबे समय तक जम्मू कश्मीर में जो इंसरजेंसी पैदा की थी, उसको संभालने के बाद अब भारत भी पाकिस्तान में उसी तरह की अस्थिरता पैदा करने का काम कर रहा है। पाकिस्तानी नेता भारत को बलूच आंदोलन के लिये दोषी ठहराते रहते हैं। किंतु असल बात यह है कि पाकिस्तान की खुद की इतनी समस्याएं हैं कि उसको भारत द्वारा अस्थिर करने की जरुरत ही नहीं है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या पाकिस्तान के टुकड़े होने से भारत को लाभ होगा या नुकसान? वास्तव में देखा जाये तो भारत की हमेशा नीति यही रही है कि उसके पड़ोसी देशों में हमेशा शांति और उनके साथ सौहार्द के संबंध रहें। भारत ने समय समय पर इसको साबित भी किया है कि वह अपने पड़ोसी देशों से मधुर संबंध चाहता है। ​पिछले दिनों श्रीलंका में जब भयानक आर्थिक संकट आया और लोगों ने राष्ट्रपति—प्रधानमंत्री को ही देश से भगा दिया, तब भारत ही वह देश है, जिसने श्रीलंका को बिना किसी लोभ लाचल के अरबों रुपयों की मदद की और बड़े पैमाने पर खाद्य सामग्री समेत डीजल—पेट्रोल भी सप्लाई किया।
ठीक इसी तरह से से जब बंग्लादेश पर संकट आता है तो भारत ही आगे आता है। नेपाल को ड्रेगन से बचाने के लिये भारत आर्थिक सहायता समेत सभी तरह की राहत सामग्री मुहइया करवाता है। एक बड़े भाई की तरह भारत ने हमेशा भूटान को मदद दी है। इन सबके बीच भारत से 14 अगस्त 1947 को अलग हुये पाकिस्तान की नीति बिलकुल उलट रही है। पाकिस्तान अपने जन्म के समय से ही भारत के साथ संबंध बिगाड़ने और पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है। आजादी के अगले ही साल उसने भारत पर हमला कर दिया। जम्मू कश्मीर का एक बड़ा भाग अपने कब्जे में ले लिया, जिसको हम पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहते हैं।
इसी तरह से 1962 में हमला किया, जब उसको मुंह की खानी पड़ी। फिर पाकिस्तान ने जब 1971 में भारत पर आक्रमण किया तो उसको सबक सिखाते हुये पूर्वी पाकिस्तान को अलग देश बनाकर भारत ने बंग्लादेश का निर्माण किया। इसके बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से कभी बाज नहीं आया। साल 1999 में एक तरफ जहां सेना प्रमुख से तानाशाह बने परवेज मुशर्रफ ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री से आगरा में शिखर सम्मेलन कर संबंध सुधारने का वादा किया, तो सर्दियों के मौसम का फायदा उठाते हुये पाकिस्तान ने भारत को कारगिल का घाव दिया।
पाकिस्तान को बीते 75 साल में चार बार सीधे युद्ध में और अनेक बार परोक्ष लड़ाई में भी हार का सामना करना पड़ा है, लेकिन वह हमेशा भारत को दुश्मन देश की तरह देखता है। कहा जाता है कि आजादी के समय ही कम जमीन देने के कारण पाकिस्तान के नेताओं ने यह कसम खाई थी कि भारत के टुकड़े टुकड़े करके ही दम लेंगे, जिसके चलते वह जम्मू कश्मीर लेकर पश्चिम बंगाल में भी आतंकी भेजकर भारत से तोड़ने के प्रयास करता रहा है, किंतु हर बार उसको मुंह की खानी पड़ी है। मोदी सरकार ने कश्मीर से धारा 370 खत्म करने के साथ ही पाकिस्तान की सीमा पर फेसिंग करके काफी हद तक आतंक को रोकने में सफलता पाई है, लेकिन फिर भी वह अपनी ओछी हरकतों को अंजाम देता रहता है।
जिन बीते 75 साल में भारत ने अपने विकास पर ध्यान दिया, उस समय में पाकिस्तान ने भारत की बर्बादी के सपने देखे। नतीजा यह हुआ कि भारत जहां आज विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, वहीं पाकिस्तान भूख मिटाने के लिये दुनियाभर में भीख मांगता रहता है। शुरू से ही हिंदुओं को टारगेट कर उनको खत्म करने या कन्वर्ट करने का काम करने वाले पड़ोसी इस्लामिक देश की हालत यह हो गई है कि आज उसके पास खाने को दाने नहीं हैं, उजाले के लिये बिजली नहीं है, वाहनों में जलाने के लिये डीजल पेट्रोल नहीं है। यही वजह है कि उसके चारों प्रांत अलग होने की तरफ अग्रसर हो रहे हैं। कुछ लोगों को मानना है कि यदि पाकिस्तान चार टुकड़ों में बंट जायेगा, तो भारत को चार पाकिस्तानों से मुकाबला करना होगा और इससे भारत के सामने समस्याएं अधिक हो जायेंगी।
किंतु ये बातें केवल झूठे दावों से अधिक कुछ भी नहीं है। असल बात यह है कि पाकिस्तान आज एक है तो भी, और कल को चार देश हो जायेंगे, तब भी उसकी भौगोलिक सीमाओं की दूरी में कोई अंतर नहीं आयेगा। पाकिस्तान जहां भारत के खिलाफ रहा है, तो आज ही की तारीख में बलूचिस्तान, गिलगिट बाल्टिस्तान के लोग भारत के साथ मधुर संबंध चाहते हैं। ऐसे में यदि पाकिस्तान टुकड़ों में बंटता है कि उसकी ताकत तो कमजोर होगी ही, साथ ही उसका आधा हिस्सा, यानी दो देश भारत के पक्ष में आ जायेंगे, जिससे भारत को राहत मिलेगी। दूसरी ओर इस टूट में भारत भी अपना पीओके वापस लेगा, जिससे पाकिस्तान व चीन, दोनों की कमर टूट जायेगी। पाकिस्तान के बिखरने से चीन को भी अरबों डॉलर का नुकसान होगा, जिससे वह भी भारत के खिलाफ करने वाली गतिविधियों के बारे में सोचेगा। पाकिस्तान से टूटे दो देश भी यदि भारत के साथ संबंध सुधाकर विकास के पथ पर चलने को तैयार होते हैं, तो इससे भारत को भी अपने विकास की गति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
पाकिस्तान से भारत को निर्यात होने वाले आतंकवाद में कमी आयेगी। पड़ोसी देशों के साथ कारोबारी संबंध शुरू हो पायेंगे। सीपेक योजना पर विराम लगेगा तो चीन का नैतिक पतन हो जायेगा। इसी तरह से कई प्राकृतिक खनीज पाकिस्तान से भारत को निर्यात होंगे तो भारत के विकास में मदद मिलेगी। पड़ोस में शांति रहेगी तो भारत अपने विकास पर ध्यान दे पायेगा। ऐसे हजारों फायदे हैं, जो पाकिस्तान के टूटने से भारत को होने वाले हैं। इसलिये यह कहना गलत है कि पाकिस्तान के टुकड़े होने से भी भारत को ही नुकसान होगा। शायद यही कारण है कि भारत की सत्ता भी पाकिस्तान के टूटने का इंतजार कर रही है, जो इंतजार आने वाले समय में कभी भी पूरा हो सकता है।

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