इन 3 जिलों में सचिन पायलट की साख दांव पर है!



राजस्थान में चुनाव से पहले टिकट का सलेक्शन फाइनल स्टेज पर चल रहा है। सभी नेता अपने टिकट के साथ ही बड़े नेता अपने समर्थक नेताओं के टिकट के जुगाड़ में भी लगे हुए हैं। टोंक जिले में चार विधानसभा सीटें आती हैं। संसदीय क्षेत्र के हिसाब से टोंक सवाईमाधोपुर से भाजपा के सुखबीर सिंह जौनापुरिया सांसद हैं। वह इससे पहले भी सांसद थे। हालांकि, जिले की चर्चा सचिन पायलट के कारण अधिक होती है। पायलट यहां की टोंक विधानसभा से विधायक हैं, जिन्होंने पिछली बार भाजपा के युनूस खान को करारी मात दी थी।


टोंक की जयपुर की तरफ वाली निवाई विधानसभा से भाजपा की ओर से सतीश चंदेल, प्रभु बड़ोलिया और सीताराम वर्मा सबसे बड़े दावेदार हैं। यहां पर अभी कांग्रेस के प्रशांत बैरवा विधायक हैं, लेकिन उनके खिलाफ महौल होने के कारण भाजपा को फायदा मिल सकता है। हालांकि, प्रशांत बैरवा की जीत का आधार सचिन पायलट माना जाता है, लेकिन संकट के समय जब सचिन पायलट को प्रशांत बैरवा की जरुरत पड़ी, तब उन्होंने अशोक गहलोत कैंप थाम लिया था। यहां पर भाजपा के सतीश चंदेल दावेदार हैं, जो पूर्व में भाजपा एससी मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष थे। इसके साथ ही प्रभु बडोलिया भी दावा कर रहे हैं। बडोलिया भाजपा के जिला महामंत्री हैं। सीताराम वर्मा भी निवाई से टिकट के दावेदार बताए जा रहे हैं। 

Video:  इन 3 जिलों में सचिन पायलट की साख दांव पर है!

इसी तरह से टोंक जिले की टोंक विधानसभा से भाजपा के जिला अध्यक्ष राजेंद्र पराणा सबसे बड़े दावेदार हैं। जिले में सचिन पायलट के विधायक होते हुए भी राजेंद्र पराणा ने भाजपा के बहुत काम किया है। कोरोना के दौरान उन्होंने संगठन का खूब काम किया था, जिसके कारण प्रदेश के टॉप जिला अध्यक्षों में शामिल थे। दूसरे नंबर पर भाजपा मीडिया सह प्रमुख मेहराज सिंह चौधरी हैं। इसी तरह से महावीर प्रसाद जैन, लक्ष्मी जैन, नरेश बंसल और पूर्व विधायक अजीत मेहता भी टिकट के दावेदार हैं। टोंक से अभी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट विधायक हैं, जिन्होंने दावा किया है कि इस बार फिर से वह इसी सीट से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, पिछले दिनों यह भी चर्चा चली थी कि सचिन पायलट अपनी सीट बदलकर अजमेर की नसीराबाद जा सकते हैं।  


टोंक की अजमेर और भीलवाड़ा से लगती मालपुरा विधानसभा सीट अभी भाजपा के पास ही है। इस सीट पर भाजपा के कन्हैया लाल चौधरी लगातार दूसरी बार विधायक हैं। कन्हैया लाल चौधरी फिर से टिकट का दावा कर रहे हैं। बीते चुनाव में उनको आखिर में टिकट मिला था। इसी तरह से राजस्थान विवि में एबीवीपी के आखिरी छात्रसंघ अध्यक्ष रहे कानाराम जाट भी टिकट का दावा कर रहे हैं। कानाराम जाट यहां पर बीते चार साल से सक्रिय हैं, इसलिए पार्टी उनकी अनदेखी नहीं करना चाहेगी। हालांकि, यह भी चर्चा है कि उपनेता प्रतिपक्ष डॉ. सतीश पूनियां भी मालपुरा से चुनाव लड़ सकते हैं। यदि पार्टी ने सतीश पूनियां को टिकट दिया तो भाजपा के लिए यह सीट जीतना आसान हो जाएगा। इसके अलावा सुभाष गालव और सत्यनारायण चौधरी भी भाजपा से टिकट मांग रहे हैं। 


देवली उनियारा विधानसभा सीट पर इस समय सचिन पायलट खेमे से माने जाने वाले पूर्व डीजीपी हरीश मीणा विधायक हैं। हरीश मीणा फिर से यहीं पर चुनाव लड़ने के लिए आवेदन कर चुके हैं। हालांकि, पिछले दिनों कुछ जगह पर उनको विरोध भी हुआ था। वैसे हरीश मीणा साल 2014 भाजपा के टिकट पर दौसा से लोकसभा सांसद थे, जो 2018 के चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे। यहां पर भाजपा की ओर से राजेंद्र गुर्जर, राष्ट्रीय मंत्री अलका सिंह गुर्जर और सीताराम पोसवाल दावेदार बताए जाते हैं। पार्टी यहां पर अलका सिंह को टिकट दे सकती है, लेकिन राजेंद्र गुर्जर और सीताराम पोसवाल भी लगातार सक्रिय रहे हैं, इसलिए इनको इग्नोर करना आसान नहीं होगा।


सचिन पायलट का नाम आता है तो अजमेर जिले का जिक्र अपने आप ही होने लगता है। यहां 2009 में सचिन पायलट सांसद बनकर केंद्र में मंत्री बने थे। हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा के दिग्गज नेता सांवरलाल जाट के सामने हार गए थे। सांवरलाल जाट का बाद में निधन हो गया था, जिसके कारण उपचुनाव हुए,​ जिसमें सचिन पायलट के सहारे कांग्रेस के रघु शर्मा सांसद बने। अजमेर से अभी भाजपा के भागीरथ चौधरी लोकसभा सांसद हैं, जो 2013 में किशनगढ़ से विधायक थे। 

 

अजमेर की अजमेर उत्तर विधानसभा सीट पर अभी भाजपा के वसुदेव देवनानी विधायक हैं। देवनानी यहां पर 2008 से लगातार जीत रहे हैं। उन्होंने पिछली बार कांग्रेस के महेंद्र रावलता को 8630 वोटों से हराया था। देवनानी इस बार फिर से दावा कर रहे हैं। साल 2013 में वह वसुंधरा राजे सरकार में शिक्षा मंत्री थे। प्रदेश की 20 हजार से अधिक छोटी स्कूलों को मर्जर के नाम पर बंद कर वासुदेवी देवनानी सुर्खियों में रहे थे। हालांकि, उनकी उम्र 70 से अधिक होने के कारण टिकट पर संकट भी है। इसके साथ ही भाजपा के सुरेंद्र सिंह शेखावत भी दावेदारी कर रहे हैं। भाजपा के कुलदीप शर्मा तीसरे बड़े दावेदार हैं, जो अजमेर उत्तर से टिकट मांग रहे हैं। 


इसी तरह से अजमेर दक्षिण वर्तमान में भाजपा की अनीता भदेल विधायक हैं। इससे पहले अनीता भदेल वासुदेव देवनानी की तरह ही 2008 से जीत रही हैं। उन्होंने पिछले चुनाव में कांग्रेस के हेमंत भाटी को 5700 वोटों से हराया था। पिछली वसुंधरा सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री थीं। अनीता भदेल के अलावा वंदना नोगिया भी दावेदार हैं। इसके साथ ही नेहा भाटी भी दावा ठोक रही हैं। भाजपा इस सीट को लगातार जीत रही है। 



अजमेर की किशनगढ़ सीट इस इस समय कांग्रेस के सुरेश टाक विधायक हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने भाजपा के युवा उम्मीदवार विकास चौधरी को 17 हजार से अधिक वोटों से हराया था। यह सीट उससे पहले भागीरथ चौधरी के पास हुआ करती थी। साल 1993 के दौरान यहीं से कांग्रेस के टिकट पर वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ विधायक बने थे। भाजपा के विकास चौधरी यहां पर फिर सबसे बड़े दावेदार हैं। इसके साथ ही अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी भी चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं। इन दोनों के साथ ही पार्टी के चेतन चौधरी भी चुनाव लड़ना चाहते हैं। हालांकि, दावा विकास चौधरी का सबसे मजबूत है। विकास एबीवीपी से निकले हैं और अजमेर विवि के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं। 


अजमेर की केंकड़ी विधानसभा से अभी कांग्रेस के रघु शर्मा विधायक हैं। पिछली बार उन्होंने भाजपा के राजेंद्र विनायक को करीब 20 हजार वोटों से हराया था। राजेंद्र विनायक इस बार फिर से दावेदारी कर रहे हैं। उनके अलावा मिथिलेष गौतम भी दावा कर रहे हैं। मिथिलेश गौतम एबीवीपी के संगठन मंत्री रह चुके हैं। इन दोनों के साथ ही भाजपा के अनिल मित्तल भी दावा कर रहे हैं।


अजमेर की मसूदा सीट से भाजपा की ओर से भंवरसिंह पलाड़ा टिकट मांग रहे हैं। यहां पर अभी कांग्रेस के राकेश पारीक विधायक हैं, जो सचिन पायलट खेमे से माने जाते हैं। भंवरसिंह की पत्नी सुशीला कंवर पलाड़ा भाजपा से पहले विधायक रह चुकी हैं, खुद भवंरसिंह अजमेर के जिला प्रमुख हैं। हालांकि, उनको पार्टी ने निलंबित कर दिया था, लेकिन राजनीति में कब एंट्री हो जाए, कोई कह नहीं सकता। इनके अलावा भंवरलाल बुला भी टिकट मांग रहे हैं। सुनील जैन भी टिकट का दावा कर रहे हैं।



नसीराबाद सीट की बात की जाए तो अभी भाजपा के रामस्वरूप लांबा विधायक हैं। रामस्वरूप फिर से टिकट मांग रहे हैं और सबसे मजबूत दावेदार भी हैं। सांवरलाल जाट के बेटे रामस्वरूप लांबा एक बार विधायक बने हैं, लेकिन क्षेत्र में उनके पिता का नाम मोटा होने का लाभ भी उनको मिलता है। रामस्वरूप के साथ ही भाजपा ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष रहे ओमप्रकाश भड़ाना भी टिकट मांग रहे हैं। इसी तरह से सरीता गैणा भी टिकट का दावा कर रही हैं। इससे पहले सरीता गेणा सांवरलाल जाट की खास मानी जाती थीं।


अजमेर की पुष्कर विधानसभा सीट पर अभी भाजपा के सुरेश सिंह रावत विधायक हैं। सुरेश सिंह इस बार फिर से दावा कर रहे हैं। इसके साथ ही अशोक सिंह रावत भी दावेदार हैं। तीसरे दावेदार के रूप में शैतान सिंह रावत हैं, जो भी भाजपा टिकट पाएगा, उसकी जीत की संभावना सबसे अधिक होगी।


ब्यावर विधानसभा सीट से अभी भाजपा के शंकर सिंह रावत विधायक हैं। शंकर सिंह ने कांग्रेस के पारस जैन को करीब 4500 वोटों से हराया था। इस बार फिर से शंकर सिंह ने टिकट पर दावा किया है। वर्तमान विधायक होने के कारण फिर से दावा मजबूत है। इसके सााि ही देवी शंकर भूतडा भी दावा कर रहे हैं। महेंद्र सिंह रावत भी टिकट मांग रहे हैं। 


शेखावाटी के झुंझूनुं से अभी कांग्रेस के बृजेंद्र ओला विधायक हैं। यह सीट हमेशा से कांग्रेस की रही है, यहां पर 2003 के बाद भाजपा का कोई उम्मीदवार नहीं जीत पाया है। उस समय भाजपा की सुमित्रा सिंह जीतकर विधानसभा अध्यक्ष बनी थीं। सुमित्रा सिंह ने कांग्रेस के बृजेंद्र ओला को हराया था। उससे पहले 1998 में भी सुमित्रा सिंह जीती थीं। तीन बार से लगातार कांग्रेस जीत रही है। पिछली बार भाजपा के टिकट पर हारने वाले राजेंद्र भांभू दावेदार हैं, लेकिन हार का अंतर अधिक होने के कारण उनकी दावेदारी कमजोर पड़ सकती है। राजेंद्र भांभू के अलावा बनवारी सैनी और कमल कांत शर्मा भी दावा कर रहे हैं। 


झुंझुनूं की खेतड़ी विधानसभा सीट पर अभी कांग्रेस के जितेंद्र सिंह विधायक हैं। उन्होंने भाजपा के धर्मपाल गुर्जर को 937 वोटों से हराया था। इस बार फिर से धर्मपाल गुर्जर दावेदारी ठोक रहे हैं। काफी कम अंतराल से हारने के कारण भाजपा इस बार फिर से धर्मपाल गुर्जर को टिकट दे सकती है। धर्मपाल के अलावा मनीषा गुर्जर भी टिकट का दावा कर रहे हैं। पूर्व उर्जा मंत्री जितेंद्र सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं। 


जिले की पिलानी विधानसभा सीट पर अभी कांग्रेस के जेपी चंदेलिया विधायक हैं। भाजपा ने पिछली बार कैलाश मेघवाल को टिकट दिया था, लेकिन वो करीब 13 हजार वोटों से हार गए थे। इस बार कैलाश मेघवाल सबसे बड़े दावेदार हैं, लेकिन उनके साथ ही राजेश दहिया भी टिकट के दावेदार बनकर उभरे हैं। साथ ही मनोज आलडिया भी टिकट मांग रहे हैं। 


झुंझुनूं की नवलगढ़ भाजपा आज तक नहीं जीत पाई है। यहां पर अभी कांग्रेस के राजकुमार शर्मा विधायक हैं, जो तीन बार से जीत रहे हैं। सबसे पहले राजकुमार ने 2008 में बसपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी, उसके बाद कांग्रेस के शामिल होकर मंत्री बने थे। यह सीट राजकुमार शर्मा ने लगभग स्थाई सी कर ली है। उनका सीट पर होल्ड कितना है, इसका प्रमाण यह है कि उनके खिलाफ एंटी इनकमबेंसी नाम की चीज नहीं है। पिछली बार भाजपा के बनवारी लाल सैनी को 36 हजार से अधिक वोटों से हराया था। इस बार भाजपा की तरफ से ओमेंद्र चारण, वीर पाल सिंह शेखावत और विक्रम झाखल दावेदारी कर रहे हैं। भाजपा इस सीट पर कितनी कमजोर है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पहली बार 20018 में दूसरे नंबर पर रही, अन्यथा कभी दूसरे नंबर तक भी नहीं पहुंच पाई थी।


जिले की मंडावा सीट पर अभी कांग्रेस के रीटा चौधरी विधायक हैं, जिन्होंने उपचुनाव में जीत दर्ज की थी। पहले यहां पर भाजपा के नरेंद्र खींचड़ विधायक थे, जो बाद में सांसद बन गए थे। रीटा ने उपचुनाव में भाजपा की सुशीला सीगड़ा को 33 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। कांग्रेस इस बार फिर से रीटा चौधरी को मैदान में उतारेगी, तो भाजपा की तरफ से राजेश बाबल, गिरधारी खीचड़ और खुद सुशीला सिगड़ा भी दावेदार हैं। सबसे मजबूत दावेदार सुशीला हैं, लेकिन गिरधारी खींचड़ को भी कमजोर नहीं माना जा सकता है।



झुंझूनूं की सूरजगढ़ विधानसभा सीट पर अभी भाजपा के सुभाष पूनिया विधायक हैं, जिन्होंने कांग्रेस के श्रवण कुमार को 3425 वोट से हराया था। भाजपा की ओर से इस बार फिर से सुभाष पूनिया सबसे बड़े दावेदार हैं, जबकि पूर्व विधायक संतोष अहलावत और सतीश गजराज भी टिकट मांग रहे हैं। कांग्रेस पार्टी पूर्व विधायक श्रवण कुमार को टिकट दे सकती है।


जिले की उदयपुरवाटी विधानसभा सीट पांच साल से चर्चा में रही है। सीकर से सटी इस सीट पर अभी कांग्रेस के निलंबित राजेंद्र गुढ़ा विधायक हैं, जो बसपा के टिकट पर जीतकर कांग्रेस में शामिल हुए थे। गुढ़ा अब शिवसेना ज्वाइन कर चुके हैं, और इस बार शिवसेना के टिकट पर मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। पिछली बार भाजपा के शुभकरण चौधरी हार गए थे, जो 2013 में विधायक बने थे। भाजपा की ओर से इस बार फिर से शुभकरण चौधरी सबसे बड़े दावेदार हैं। साथ ही पवन मावंडिया और विजेंद्र सिंह इंद्रपुरा भी टिकट का दावा कर रहे हैं। कांग्रेस के भगवान राम सैनी तीसरे नंबर पर रहे थे, इसलिए पार्टी किसी नए व्यक्ति को मैदान में उतार सकती है। 

Post a Comment

Previous Post Next Post