दिव्या मदेरणा, हरीश चौधरी, मुकेश भाकर, राजेंद्र यादव, मानवेंद्र सिंह जैसे कई कांग्रेसी भाजपा में शामिल होंगे!



राजस्थान में चुनाव नजदीक आने के साथ ही प्रत्याशियों में पार्टी बदलने की भगदड़ मच गई है। इस बार पार्टी ज्वाइन करने में भाजपा काफी आगे हैं, जो इस बात का प्रमाण भी है कि सत्ता परिवर्तन हो रहा है। कुछ समय पहले ही कांग्रेस के दिग्गज राजनीतिक फैमिली मानी जाने वाली मिर्धा परिवार की ज्योति मिर्धा ने भाजपा ज्वाइन की है। ज्योति मिर्धा के भाजपा ज्वाइन करने से ना केवल कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो रहा है, बल्कि आरएलपी भी सकते में है। हालांकि, आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल का कहना है कि उन्होंने 2014 में ज्योति को हराने में मदद की थी, इसके अलावा 2019 में खुद ने हराया था और अब फिर से हरायेंगे। ज्योति मिर्धा ने दावा किया है कि पिछली बार भाजपा के सहयोग से बेनीवाल ने उनको हरा दिया था, लेकिन इस बार हराकर दिखाएं।


ज्योति मिर्धा को भाजपा लोकसभा का चुनाव लड़ाएगी, इसलिए इस विषय पर फिलहाल अधिक चर्चा करना ​उचित नहीं है, लेकिन अभी सबसे अधिक चर्चा है कि ज्योति मिर्धा ने कितने कांग्रेसियों को भाजपा ज्वाइन कराने का लक्ष्य पूरा करने का काम किया है। भाजपा के बड़े नेताओं की मानें तो कांग्रेस में पश्चिमी राजस्थान से बड़े नेताओं को पार्टी में शामिल कराने का काम किया जा रहा है। इनमें मंत्री राजेंद्र यादव, बृजेंद्र ओला से लेकर पूर्व मंत्री हरीश चौधरी, दिव्या मदेरणा, विजयपाल मिर्धा, मुकेश भाकर, मानवेंद्र सिंह जैसे कई नेताओं के भाजपा ज्वाइन करने का दावा किया जा रहा है। मानवेंद्र सिंह को छोड़कर लगभग सभी नेताओं के परिवारों को कट्टर कांग्रेस माना जाता रहा है। कभी मदेरणा, मिर्धा, ओला परिवार कांग्रेस की धुरी थे, जिनके बिना कांग्रेस में पत्ता भी नहीं हिलता था, लेकिन बीते 25 साल में अशोक गहलोत द्वारा इन परिवारों को कांग्रेस से साफ कर दिया गया। आज की तारीख में शेखावाटी के बड़े ओला परिवार के बृजेंद्र ओला ही अकेले नेता हैं, जो कांग्रेस छोड़ते दिखाई दे रहे हैं, बाकी सभी किसान नेता या कांग्रेस छोड़ चुके हैं, या छोड़ने की ओर जा रहे हैं। 


अब समझने वाली बात यह है कि आखिर क्या वजह है कि मिर्धा परिवार की ज्योति मिर्धा के बाद उनके परिवार से विजयपाल मिर्धा से जेकर मदेरणा परिवार की दिव्या मदेरणा, ओला परिवार के बृजेंद्र ओला और इसी तरह से कांग्रेस के बड़े नेता हरीश चौधरी के भी भाजपा में जाने की बातें सामने आ रही हैं। मंत्री राजेंद्र यादव और विधायक मुकेश भाकर भी भाजपा में जा सकते हैं। असल में इनके अपने अपने कारण हैं, जिसकी जड़ में खुद अशोक गहलोत को माना जाता है। मिर्धा, मदेरणा और ओला परिवार को राजनीति में हासिए पर डालने का काम अशोक गहलोत ने 1998 से ही शुरू कर दिया था, जिसमें बड़ी सफलता के परसराम मदेरणा की जगह सीएम बनने के साथ मिली। इसके बाद मिर्धा परिवार को साफ किया, फिर 2008 में ओला को निपटाया और 2011 में मदेरणा के बेटे महिपाल मदेरणा को जेल भेजकर कसर पूरी कर दी। इस कार्यकाल में ओला के बेटे बृजेंद्र ओला को सचिन पायलट कैंप में जाने को मजबूर किया गया। हरीश चौधरी के खिलाफ जांच सीबीआई को सौंप दी, दिव्या मदेरणा को आश्वासन देकर पांच साल मंत्री नहीं बनाया, मानवेंद्र सिंह को कुछ नहीं दिया गया, लालचंद कटारिया मंत्री रहे, लेकिन उनके सारे काम गहलोत के कार्यालय से होते रहे। युवा होने के बाद भी मुकेश भाकर को दबाने का प्रयास किया गया।


दबी जुबान में कांग्रेस के कई नेता कहते हैं कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने कांग्रेस नेताओं को भाजपा में जाने का रास्ता साफ किया है। दरअसल, यह नैरेटिव बनाया जाता है रहा है कि भाजपा जाट विरोधी है, और कांग्रेस ही जाट समाज का भला कर सकती है, जबकि आप इतिहास उठाकर देख लिजिए कि सबसे बड़ी जनसंख्या होने के बाद भी कांग्रेस ने कभी जाट समाज के नेता को सीएम नहीं बनाया। किसी जाट नेता को मंत्री पद से उपर उठने ही नहीं दिया। कभी कुंभाराम आर्य कांग्रेस में सीएम बनाते थे, लेकिन उनको आगे नहीं बढ़ने दिया, बाद में मदेरणा परिवार को मंत्री पद से रोक दिया। मिर्धा परिवार बहुत बड़ा और बड़े नेता होने पर  भी सीएम नहीं बना पाए। शीशराम ओला केंद्र में मंत्री रहे, शेखावाटी के बड़े नेता थे, लेकिन सीएम नहीं बन पाए। अब हालात यह हो गए हैं कि इन परिवारों से किसी को या तो ​मंत्री बनाया ही नहीं जाता है, या बनाया जाता है तो छोटा कद रखा जाता है। यानी कांग्रेस ने इस किसान वर्ग का शोषण ही किा है। 


दूसरी तरफ भाजपा ने जगदीप धनकड़ को उपराष्ट्रपति बनाकर साफ कर दिया था कि राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश तक किसान वर्ग को साधने का काम शुरू कर दिया गया है। खुद अशोक गहलोत ने पिछले दिनों उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ के बार बार राजस्थान दौरों पर सवाल उठाए थे। संभवत: गहलोत को पता चल गया था कि धनकड़ ने किसान वर्ग को भाजपा की तरफ मूव करने का काम कर दिया है। सबसे पहले ज्योति मिर्धा को भाजपा में जाने कारण ही धनकड़ को माना गया। इसके बाद उनके सहारे से दूसरे कांग्रेसी नेताओं को जोड़ा गया है। 


अब यदि भाजपा ने इन सभी नेताओं को अपने साथ जोड़ लिया, तो यह तय है कि भाजपा पश्चिमी राजस्थान से लेकर शेखावाटी तक काफी मजबूत हो जाएगी। उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र यादव जहां केंद्रीय मंत्री भुपेंद्र यादव के माध्यम से भाजपा में जा रहे हैं तो बाकी किसान नेताओं को ज्योति के द्वारा संपर्क किया गया है। राजेंद्र यादव इन दिनों ईडी की राडार पर हैं, जिनकी गिरफ्तारी की बारी आ सकती है। चाहे जितने नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हों, लेकिन इतना तय है कि आने वाले कुछ दिनों में राजस्थान की राजनीति एक बड़े उठापटक के दौर से गुजरने वाली है। 

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