राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटों पर दोनों ही प्रमुख दलों ने अपने—अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। सोमवार से नामांकन पत्र दाखिल करने का काम शुरू हो चुका है। पूर्वी राजस्थान की 13 सीटों पर 19 अप्रैल और पश्चिमी राजस्थान की 12 लोकसभा सीटों पर 26 अप्रैल को मतदान किया जाएगा, जबकि सभी सीटों का परिणाम देशभर में एक साथ 4 जून को घोषित किया जाएगा। राज्य की राजधानी जयपुर जिले में दो लोकसभा सीटें हैं। पहली जयपुर शहर और दूसरी जयपुर ग्रामीण।
तीन महीने पहले राज्य की सत्ता से बेदखल होने के बाद अशोक गहलोत का ध्यान केवल अपने बेटे को चुनाव जिताने पर लगा हुआ है, जबकि इस बार लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस टिकट वितरण में युवा लीडर सचिन पायलट की खूब चली है। यही वजह है कि जयपुर ग्रामीण से कांग्रेस ने प्रदेश के सबसे युवा नेता अनिल चौपड़ा को टिकट दिया है।
अनिल चौपड़ा सचिन पायलट की कोर टीम का हिस्सा हैं। उन्होंने 2014 में एनएसयूआई के टिकट पर राजस्थान के सबसे बड़े, राजस्थान विवि से छात्रसंघ का चुनाव जीता था। दूसरी तरफ भाजपा ने अपने उम्रदराज नेता राव राजेंद्र सिंह को टिकट दिया है, जिनका हाल ही के विधानसभा चुनाव में शाहपुरा से टिकट काट दिया गया था। उससे पहले 2018 में राव राजेंद्र सिंह यहीं से चुनाव हार गए थे।
जयपुर ग्रामीण लोकसभा के जातिगत समीकरण की बात की जाए तो सर्वाधिक मतदाता जाट, गुर्जर और यादव समाज से हैं। इसके बाद राजपूत, ब्राह्मण, बागड़ा, मीणा, मुस्लिम वोटर्स हैं, जो मिलकर किसी भी चुनाव का परिणाम बदलने का दमखम रखते हैं। इस सीट पर अनुसूचित जाति के 2.70 लाख मतदाता हैं, जिनमें मुख्य रूप से बैरवा और रैगर जाति के वोटर हैं। अनुसूचित जनजाति के लगभग 1.05 लाख मतदाता हैं। कोटपूतली, विराटनगर, शाहपुरा, फुलेरा, झोटवाड़ा, आमेर, जमवारामगढ़ और अलवर जिले की बानसूर विधानसभा सीट लोकसभा क्षेत्र में आती हैं। इस लोकसभा सीट का गठन 2008 में हुआ था। उसके बाद 2009 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस के प्रत्याशी लालचंद कटारिया वियजी होकर केंद्र में मंत्री बने। पूर्व सांसद कटारिया हाल ही में भाजपा में शामिल हो गए हैं।
यदि जयपुर ग्रामीण लोकसभा के अंतर्गत आने वाली आठों विधानसभा के विधायकों की बात की जाए तो जमवारामगढ़ विधानसभा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, यहां से भाजपा के मीणा समाज से महेंद्रपाल मीणा, कोटपूतली विधानसभा से भाजपा के गुर्जर समाज से हंसराज पटेल, फुलेरा विधानसभा से कांग्रेस के जाट समाज से विद्याधर चौधरी, बानसूर से भाजपा के राजपूत समाज से देवीसिंह शेखावत, विराटनगर विधानसभा से भाजपा के जाट समाज से कुलदीप धनकड़, झोटवाड़ा से राजपूत जाति से राज्यवर्धन राठौड़, आमेर से कांग्रेस के ब्राह्मण समाज से प्रशांत शर्मा और शाहपुरा से कांग्रेस के यादव समाज से मनीष यादव विधायक है। इस क्षेत्र में सर्वाधिक 5 विधायक भाजपा से हैं, जबकि तीन कांग्रेस के हैं।
झोटावाड़ा के पूर्व विधायक लालचंद कटारिया, कोटपूतली के पूर्व विधायक राजेंद्र यादव और शाहपुरा के पूर्व विधायक आलोक बेनीवाल भाजपा ज्वाइन कर चुके हैं। क्षेत्र के 8 विधायकों में से 2 जाट, 2 राजपूत और एक—एक गुर्जर, मीणा, ब्राह्मण, यादव विधायक हैं। गठन के बाद जयपुर ग्रामीण से दो बार राजपूत और एक बार जाट समाज से आने वाले प्रत्याशी ने लोकसभा का चुनाव जीता है। इस बार भाजपा ने फिर से राजपूत समाज के राव राजेंद्र सिंह को, जबकि कांग्रेस किसान वर्ग से आने वाले अनिल चौपड़ा को टिकट दिया है।
2009 में पहला चुनाव कांग्रेस ने जीता, उसके बाद 14 और 19 के चुनाव मोदी की लहर में भाजपा के खाते में गए। इस लिहाज से सीट का मिजाज बदलाव का माना जा सकता है, लेकिन देखने वाली बात मोदी लहर कितनी कारगर साबित होती है। कांग्रेस ने राज्य के सबसे युवा चेहरे के तौर पर 30 साल के अनिल चौपड़ा को मैदान में उतारा है, जो बीते 7 साल से यहां जनता के बीच तैयारी कर रहे हैं।
अनिल चौपड़ा कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट के बेहद खास माने जाते हैं। आपने देखा होगा, जब भी पायलट ने कोई कार्यक्रम किया है, तब अनिल चौपड़ा सबसे आगे रहने वाले कार्यकर्ता के तौर पर सामने आए हैं। जयपुर जिले के लोकल किसान समुदाय से आने वाले अनिल चौपड़ा ने जयपुर ग्रामीण में युवाओं की अपनी एक शक्तिशाली टीम तैयार कर रखी है, जिसका फायदा निश्चित ही उनको चुनाव में मिलेगा।
फुलेरा विधायक विद्याधर चौधरी, आमेर विधायक प्रशांत शर्मा, शाहपुरा विधायक मनीष यादव कांग्रेस नेता सचिन पायलट गुट से हैं। विराटनगर, कोटपूतली, शाहपुरा, बानसूर सीटों पर जाट, यादव और गुर्जर समाज के मतदाता सर्वाधिक हैं, जबकि आमेर, झोटावाड़ा, फुलेरा में भी जाति समाज बहुमत में है। जमुवारागढ़ में मीणा वोट अधिक हैं, जो सामान्यत: कांग्रेस का माना जाता है। यदि पायलट कैंप ने पूरी ताकत और ईमानदारी से दमखम लगाया तो अनिल चौपड़ा को रोकना राव राजेंद्र सिंह के लिये कठिन हो जाएगा।
भाजपा प्रत्याशी राव राजेंद्र सिंह शाहपुरा से 2013 में विधायक रह चुके हैं। गढ़पति राव राजेंद्र सिंह सदन में बुद्धिजीवी सदस्य के तौर पर जाने जाते हैं, लेकिन फिल्ड में कमजोर नजर आते हैं। इस लोकसभा सीट पर राजपूत समाज यहां पर पांचवा सबसे बड़ा वर्ग है। जातियों के दलों के साथ जुड़े होने की बात की जाए तो ब्राह्मण, राजपूत, बागड़ा जैसी जातियों को भाजपा के नजदीक अधिक माना जाता है, जबकि जाट, गुर्जर, यादव, मीणा जैसे समाजों को कांग्रेस के करीब अधिक माना जाता है।
यह बात सही है कि कोई भी समाज 100 फीसदी किसी एक दल के साथ नहीं जुड़ा हुआ है, लेकिन सामान्यत: यह धारणा मानी जाती है कि जाट, गुर्जर, मीणा, यादव जैसी किसान जातियां सामान्यत: कांग्रेस को अधिक वोट करती हैं, जबकि राजपूत, ब्राह्मण, बागड़ा जैसी जातियों के मतदाता भाजपा को वोट अधिक करते हैं।
मोटे तौर पर देखा जाए तो इस चुनाव में प्रत्याशी भले ही अनिल चौपड़ा और राव राजेंद्र सिंह हों, लेकिन परोक्ष मुकाबला सचिन पायलट और नरेंद्र मोदी के बीच भी होगा। क्योंकि दोनों उम्मीदवारों के चेहरे के बाद सचिन पायलट और नरेंद्र मोदी के नाम पर पड़ेंगे। बीते दो चुनाव में लोगों ने प्रत्याशियों नरेंद्र मोदी का चेहरा देखकर वोट दिया है, इस बार भी यदि वोटर्स ने उसी धारा में वोटिंग की तो मुकाबला बेहद कठिन हो जाएगा।
पिछली बार भाजपा को आरएलपी के साथ गठबंधन था, इसलिए हनुमान बेनीवाल ने भाजपा उम्मीदवार के लिए प्रचार किया था। इस बार आरएलपी का कांग्रेस के साथ अलाइंस है, इसलिए हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस के सबसे दमदार नेता सचिन पायलट अनिल चौपड़ा के लिए प्रचार करते नजर आएंगे। देखने वाली बात यह होगी कि लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी की लहर कमाल कर पाती है या पहली बार साथ आ रही युवा नेता सचिन पायलट और फायर ब्रांड नेता हनुमान बेनीवाल की जोड़ी कमाल कर पाती है?
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