पूरे पांच साल तक सड़क पर संघर्ष करने के बाद भी मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज होकर इस्तीफा दे चुके राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा आखिर थक हारकर 8 महीनें बाद अपने काम पर लौट आए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के बाद दौसा लोकसभा की हार की जिम्मेदारी का बहाने बनाते हुए किरोड़ी लाल मीणा ने राज्य की भाजपा वाली भजन लाल सरकार से इस्तीफा दे दिया था।
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किरोड़ी लाल मीणा ने विपक्ष में रहते एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने का मामला उठाया था, जिसको वर्तमान सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया। कैबिनेट कमेटी की लेकर एसओजी की रिपोर्ट में एसआई भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली सामने आई है, लेकिन किरोड़ी लाल मीणा द्वारा उठाये गये इस मुद्दे को उनकी ही सरकार ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
इसके अलावा करीब एक दर्जन मामलों में किरोड़ी ने सरकार से गुहार लगाई, लेकिन एक भी मामले में सरकार ने उनकी बात नहीं मानी है। यहां तक कि एक इंस्पेक्टर तक को निलंबित नहीं करवा पाये और आखिर में थक हारकर उनको 8 महीने बाद कैबिनेट मंत्री के कार्यों में लौटना पड़ा है।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर किरोड़ी को इतना झुकने पर मजबूर किसने किया? देखिये किरोड़ी लाल मीणा खुद विधायक हैं, उनकी पत्नी पहले विधायक रही हैं, उनका एक भतीजा विधायक है और बीते महीनों हुए उप चुनाव में किरोड़ी के भाई जगमोहन को भी भाजपा ने टिकट दिया था, लेकिन वो हार गये।
माना जा रहा है कि परिवारवाद के कारण दौसा के लोगों ने उनको जान बूझकर हराया, जबकि कुछ लोगों ने सीएम भजन लाल शर्मा पर भी ब्राह्मण वोट काटकर जगमोहन को हराने के आरोप लगाये थे। मजेदार बात यह है कि कभी किरोड़ी के साथ रहने वाले कुछ मीणा समाज के लोगों ने भी जगमोहन को हराने के लिए काम किया था।
किरोड़ी का जनाधार लगातार घटता जा रहा है, सरकार में उनकी चलत बिलकुल भी नहीं है, जबकि भाजपा आलाकमान ने उनको अभी तक कोई आश्वासन नहीं दिया है, जिसके चलते मजबूर होकर किरोड़ी लाल मीणा ने फिर से मंत्री पद को संभाल लिया है, ताकि अपने लोगों के काम कराये जा सकें, सीएम भजन लाल के करीबी बनकर सरकार में अपने काम करवाये जा सकें।
हालांकि, अब भजन लाल और किरोड़ी लाल के बीच नजदीकियां होने की संभावना बिलकुल खत्म हो चुकी हैं। दरअसल, अपने से काफी जूनियर नेता होने के चलते किरोड़ी लाल आज भी भजन लाल को सीएम के तौर पर स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।
इस्तीफा देते वक्त उन्होंने दौसा सीट हारने का बहाना बनाया था, ताकि लोगों की सिंपैथी पाई जा सके, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उनके भाई जगमोहन चुनाव हार गये थे, उन्होंने भाषणों के जरिये परोक्ष रूप से सीएम भजन लाल पर भी इस हार की खीज निकाली थी।
अब यह देखना दिचस्प होगा कि किरोड़ी का कब तक इस्तीफा स्वीकार नहीं होता है और अपने स्वभाव के विपरीत जाकर डॉ. किरोड़ी लाल मीणा कब तक मंत्री पद से सरकार का सहयोग करते रहेंगे।
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