भजनलाल बने सांगानेर का दुर्भाग्य, विकास की जगह जातिवाद और परिवारवाद हावी!

  


पंडित भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बने अब पूरे 21 महीने हो चुके हैं। कहते हैं, राजनीति में समय लंबा नहीं होता, लेकिन 21 महीनों का यह सफर इतना भारी पड़ा है कि जिस उम्मीद के साथ जनता ने भाजपा को राजस्थान में 115 सीटें देकर सत्ता सौंपी थी, उस उम्मीद का शीशा आज चकनाचूर होकर बिखरा पड़ा है। यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसे पहली बार टिकट मिला, सांगानेर से भाजपा के कोर वोटर्स की ताकत पर बड़े अंतर से जीत गया और लंबे समय तक जेपी नड्डा, चंद्रशेखर, अरुण सिंह जैसे नेताओं की चाकरी करने का इनाम मुख्यमंत्री बनने के रूप में मिला। इन्हीं तीनों ने मिलकर मोदी—शाह के सामने भजनलाल के नाम की जमकर पैरवी की। वसुंधरा राजे जैसे दो बार की मुख्यमंत्री और तमाम दिग्गज विधायकों को दरकिनार कर पार्टी ने पर्ची से पंडित भजनलाल शर्मा को राजस्थान की सत्ता सौंप दी।

लेकिन, सत्ता की गद्दी पर बैठे इस अनुभवहीन मुख्यमंत्री ने साबित कर दिया कि सिर्फ निष्ठा और चमचागिरी किसी राज्य की तकदीर नहीं बदल सकती। भाजपा के चंद नेताओं की पसंद से राजस्थान पर पंडित भजनलाल को थोपने का नतीजा यह हुआ कि प्रदेश को जिस निष्पक्ष विकास की आस थी, वो 21 महीने में ही ध्वस्त हो गई। राज्य की जनता आज भी उस मुख्यमंत्री का इंतजार कर रही है, जो जातिवाद, क्षेत्रवाद और परिवारवाद से उपर उठकर सबको एक नजर से देखते हुए काम करे। दुर्भाग्य से पंडित भजनलाल शर्मा इन सभी कसौटियों पर बुरी तरह से नाकाम हुए हैं।

सबसे बुरा हाल सांगानेर विधानसभा क्षेत्र का है, जिसने बिना सोचे-समझे भाजपा द्वारा थोपे गए अनजान चेहरे को सिर-आंखों पर बिठाया, लेकिन अब यहां के हालात बद से बदतर हैं। सांगानेर में विकास के बजाय जातिवाद, क्षेत्रवाद, व्यक्तिवाद, परिवारवाद, समर्थकवाद, अर्थवाद और कुनीतिवाद का बोलबाला है। पंडित भजनलाल शर्मा ने सांगानेर को भरतपुर की तरह ही समझा और यहां भी वही पुराने हथकंडे थोप दिए। पहले के बाहरी जनप्रतिनिधियों ने सांगानेर को वसुधैव मानकर भोग किया, अब पंडित भजनलाल शर्मा ने भी उस परंपरा को चरम पर पहुँचा दिया। लोगों को लगा था कि उनका विधायक मुख्यमंत्री बना है, तो बरसों से अधूरी पड़ी विकास की प्यास बुझ जाएगी, लेकिन यह क्षेत्र पंडित भजनलाल शर्मा के लिए कभी भी प्राथमिकता नहीं रहा। यही वजह है कि सांगानेर के उत्तर से लेकर दक्षिण तक हर गली, हर सड़क, हर कॉलोनी सिर्फ भेदभाव और ठगी की गवाही दे रही है। समर्थकवाद की हालत यह है कि पेड प्रोटर्स की तरह दिन-रात चमचागिरी करने वाले झुंड पैदा हो गए हैं, जिन्हें सीएम की चमचागिरी में लगे रहना है। स्थानीय होने के बावजूद इनको भी सीएम की तरह जनता की तकलीफें दिखती ही नहीं।

अब देखिए विकास के बड़े-बड़े दावों का सच। दृव्यवति नदी से लेकर मालपुरा गेट तक एलिवेटेड रोड बनाने का सपना इस सरकार के पहले बजट में दिखाया गया, लेकिन 21 महीनों में एक ईंट तक नहीं रखी गई। पिछले सोमवार को भजनलाल ने फिर दावा ठोक दिया कि काम शुरू होने वाला है। जापान में कुछ ही महीनों में कई किलोमीटर की एलिवेटेड रोड खड़ी हो जाती है और जयपुर के दुर्गापुरा में 900 मीटर रोड बनाने में 12 साल लगे थे। इसका अंदाजा अब खुद जनता लगा ले कि 3 किलोमीटर की एलिवेटेड रोड बनने में कितनी पीढ़ियाँ लग जाएँगी। मानसरोवर की न्यू सांगानेर रोड को कोर्ट के आदेश का बहाना लेकर 200 फीट चोड़ा कर दिया गया, दशकों से अपनी जमीन पर बसे हजारों लोगों के मकान-दुकान तोड़ दिए गए, लेकिन यह काम भी अमीरों को फायदा पहुँचाने की साजिश साबित हुआ। गरीब और मध्यमवर्गीय लोग उजड़ गए, तोड़े गए निर्माण की जगह सड़क बनी, लेकिन ट्रैफिक जाम जस का तस है। कोर्ट जिस सड़क को बनाने के लिए बार-बार आदेश दे रहा है, वो है न्यू सांगानेर रोड से डिग्गी मालपुरा की टूटी पुलिया तक की 200 फीट सड़क, लेकिन पंडित भजनलाल शर्मा को ये सड़क दिखाई नहीं देती।

सांगानेर के दक्षिण में कॉलोनाइजर खुलेआम सेक्टर रोड की जगहों पर अवैध कॉलोनियां काट रहे हैं, जेडीए की प्रस्तावित सेक्टर की सड़कों को बेचकर गरीबों को लूटा जा रहा है, लेकिन सरकार आंखें मूँदे बैठी है, क्योंकि ये कॉलोनाइजर खुद को पंडित भजनलाल शर्मा के करीबी बताकर प्रशासन की कार्यवाही से सुरक्षित बच जाते हैं। पृथ्वीराज नगर में सड़कें बनाई जा रही हैं, लेकिन ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से भुला दिया गया। नतीजा यह हुआ कि थोड़ी सी बरसात में सड़कें नदियाँ बन जाती हैं। न्यू सांगानेर रोड से मुहाना मंडी तक की सड़क बनाई गई, अब दोनों ओर सीमेंटेड टाइल्स लगाने का काम हो रहा है, लेकिन पानी निकासी की नालियां बनाना भूल गए। नतीजा यह हुआ कि एक बरसात में ही यह रोड जयपुर की सबसे जलभराव वाली सड़क बन चुकी है। दृव्यवति नदी का सौंदर्यकरण प्रोजेक्ट 1700 करोड़ की लागत से वसुंधरा राजे का ड्रीम प्रोजेक्ट था, लेकिन शुरुआती काम हुआ और 2018 में गहलोत सरकार आते ही यह काम रुक गया। अब 2023 से भाजपा की ही सरकार है, पंडित भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री हैं, लेकिन इस प्रोजेक्ट पर 21 महीनों में एक रुपये का भी काम नहीं हुआ। यह विडंबना नहीं तो क्या है कि भाजपा की ही राजे सरकार ने जो सपना दिखाया था, भाजपा की ही पंडित भजनलाल शर्मा सरकार उसे पूरा करने में नाकाम है। ऐसा लगता है एक सरकार जो प्रोजेक्ट शुरू करती है, दूसरी सरकार उसका डिब्बा बंद करने की सौगंध खाकर सत्ता में ही आती है।

बीसलपुर का पानी सांगानेर की कॉलोनियों तक पहुँचाने का काम पिछली कांग्रेस सरकार ने शुरू किया था, लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ। ड्रेनेज सिस्टम और फैक्ट्रियों का दूषित पानी एसटीपी तक पहुँचाने का काम कांग्रेस के समय शुरू हुआ, लेकिन भजनलाल की सरकार ने उसे अधूरा छोड़ दिया। कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पेंद्र भारद्वाज ने सीवरेज लाइन का काम शुरू करवाया था, लेकिन 21 महीनों में मुख्यमंत्री का इस ओर कोई ध्यान नहीं गया। विपक्षी नेता तो खुलकर आरोप लगा ही रहे हैं, भाजपा के भीतर से दबी जुबान में आवाजें उठ रही हैं कि पंडित भजनलाल शर्मा ने सांगानेर को अपने बेटे और परिवारजनों के हवाले कर दिया है। हनुमान बेनीवाल ने खुलेआम कहा कि भजनलाल के बेटे और साले ने सांगानेर को जमीनों के अवैध कारोबार का सबसे बड़ा अड्डा बना दिया है। कांग्रेस भी आरोप लगा रही है कि सांगानेर में जमीनों की लूट भजनलाल के परिवारजन कर रहे हैं। आम लोग भी यही कहते हैं कि सांगानेर में जमीनों के सौदेबाज सबसे ज्यादा ताकतवर वही हैं, जो खुद को सीएम का करीबी बताते हैं।

सवाल यह है कि क्या भाजपा ने जिस “अनजान चेहरे” को पर्ची से उठाकर मुख्यमंत्री बना दिया, उसने भाजपा के वोटर्स और सांगानेर की जनता के भरोसे का गला नहीं घोंटा तो क्या किया? क्या भजनलाल के लिए मुख्यमंत्री की गद्दी सिर्फ अपने बेटे, साले और समर्थकों का साम्राज्य बनाने का जरिया बन गई? क्या भाजपा आलाकमान को यह नहीं दिखता कि राजस्थान की जनता आज बदलाव चाह रही है और मुख्यमंत्री अपने ही क्षेत्र की तकदीर बिगाड़कर भरतपुर की राजनीति में मन रमाए बैठा है? इस 21 महीने के कार्यकाल में ही यह साफ हो गया है कि पंडित भजनलाल शर्मा न तो सांगानेर के लिए बने हैं, न ही पूरे राजस्थान के लिए। प्रदेश आज भी उस मुख्यमंत्री का इंतजार कर रहा है, जिसकी नजर में हर नागरिक उसका बेटा हो, न कि सिर्फ परिवार और समर्थक। लेकिन, अफसोस यह है कि भाजपा ने राजस्थान को ऐसे मुख्यमंत्री के हाथों में सौंप दिया है, जिसने राज्य के विकास की गाड़ी को जातिवाद, क्षेत्रवाद और परिवारवाद की दलदल में पूरी तरह फंसा दिया है।

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