किस षड्यंत्र की तरफ इशारा कर रहे हैं भाजपा अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया?

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 जयपुर। राजस्थान भाजपा इकाई के अध्यक्ष सतीश पूनिया और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की बीच सियासी लड़ाई अभी खुलकर सामने आती हुई नजर आ रही है। 

तकरीबन एक वर्ष वसुंधरा राजे के करीबी वर्तमान और पूर्व विधायकों के द्वारा उनको वर्ष 2023 में फिर से मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने की मांग की जा रही है। इस बीच एक दिन पहले ही पार्टी अध्यक्ष सतीश पूनिया का 22 वर्ष पुराना इस्तीफा वायरल किया गया है। 

सतीश पूनियां को वर्ष 1999 के दौरान पार्टी के युवा मोर्चा के अध्यक्ष हुआ करते थे और तब उन्होंने सादुलपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव के लिए टिकट की मांग की थी, लेकिन टिकट नहीं मिलने के कारण गुस्से में आकर इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे में उन्होंने तत्कालीन नेताओं पर टिकट काटने का आरोप लगाया था। 

गंभीर बात यह है कि सतीश पूनिया का 22 वर्ष पुराना इस्तीफा पत्र वायरल करने वाला व्यक्ति कौन है? पार्टी अध्यक्ष सतीश पूनिया हैं, जबकि पार्टी कार्यालय में उन्हीं के पक्ष के लोग होंगे। 

किंतु इतना होने के बावजूद पार्टी के रिकॉर्ड में से दो दशक पुराना पत्र कॉपी करके सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया तो फिर सवाल यह उठता है कि पार्टी के राज्य के दूसरे रिकॉर्ड कितने सुरक्षित होंगे? दिनभर राजनीतिक तौर पर चर्चा रही कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के गुट के द्वारा ही यह कार्य किया गया है। 

भाजपा सूत्रों का दावा है कि भले ही सतीश पूनिया करीब 2 वर्ष से पार्टी के अध्यक्ष हों, किंतु पार्टी मुख्यालय में आज भी वसुंधरा राजे की करीबी लोगों की अंदर तक पैठ है। 

गौरतलब है कि सतीश पूनिया के द्वारा ट्वीट करके कहा गया है कि 22 वर्ष पुराना पत्र वायरल करके साजिश के तहत षड्यंत्र करने की कोशिश की गई है, जिसका उनके ऊपर कोई असर नहीं होगा। 

इससे पहले सतीश पूनिया पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद कई बार कह चुके हैं कि भले ही कोई व्यक्ति कितना भी नाराज हो, भले ही वह पार्टी अध्यक्ष नहीं रहें, किंतु जबतक नेतृत्वकर्ता हैं, तब तक शीर्ष नेतृत्व के दिशा-निर्देश के मुताबिक प्रदेश में पार्टी के प्रति निष्ठावान लोगों को आगे बढ़ाकर संगठन को मजबूत करने के लिए प्रयास करते रहेंगे। 

यह बात तो जगजाहिर हो चुकी है कि लगातार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के द्वारा नजरअंदाज करने के कारण पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

किंतु जबकि अभी तक इस बात का अंदाजा भी नहीं है कि वर्ष 2023 में पार्टी की जीत के बाद प्रदेश का मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा और उससे करीब ढाई साल पहले ही आखिर क्यों वसुंधरा राजे का खेमा पूरी तरह से पार्टी मुखिया सतीश पूनिया के खिलाफ सियासी युद्ध छेड़ चुका है? 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां और प्रदेश की 2 बार मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे के बीच जारी सियासी युद्ध किस नतीजे पर पहुंचेगा, यह कहना तो फिलहाल लाजमी नहीं है, किंतु इतना तय है कि सतीश पूनिया का यह पत्र वायरल होने के बाद कांग्रेस पार्टी को जरूर भाजपा संगठन के खिलाफ बयानबाजी करने का अवसर मिल गया है।

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