दो साल बाद फिर होंगे छात्रसंघ चुनाव

Ram Gopal Jat
कोरोना महामारी के चलते बीते दो शैक्षणिक सत्र में छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए गए थे। छात्रों से जुड़े संगठन लंबे समय से चुनाव कराने की मांग कर रहे थे। आमतौर पर हर शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के बाद विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अगस्त माह में छात्रसंघ चुनाव होते हैं। दो दिन पहले अशोक गहलोत सरकार की ओर से छात्रसंघ चुनाव के ऐलान के बाद प्रदेश के छात्रनेताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। सितंबर के शुरुआत में राजस्थान के सभी यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव कराये जाने प्रस्तावित हैं। इन उच्च शिक्षण संस्थानों से चुनाव जीतने वाले नेता ना केवल विधायक बने हैं, बल्कि मंत्री क्या मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं। इस वीडियो के अगले तीन मिनट में आपको बताएंगे कैसे छात्र राजनीति प्रदेश की मुख्यधारा की राजनीति की धुरी बनी है और कैसे छात्रनेता से राजनेता बनने का सफर तय किया जाता है।
लिहाजा सियासत की पहली सीढ़ी मानी जाने वाली छात्र राजनीति ने प्रदेश में कई ऐसे सियासी धुरंधर चेहरे दिए हैं, जो सांसद-विधायक, प्रदेश और केंद्र में मंत्री के साथ ही मुख्यमंत्री तक बने हैं। प्रदेश में बड़े स्तर के नेता तैयार करने में सबसे आगे जयपुर में राजस्थान यूनिवर्सिटी रही है, तो जोधपुर की जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी और उदयपुर का मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय ने भी कई बड़े नेता दिए हैं, जो मौजूदा दौर में प्रदेश की राजनीति में बेहतरीन मुकाम पर है. साल 1968 में राजस्थान विवि के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे ज्ञानसिंह चौधरी बाद में राजस्थान के मंत्री बने। इसी तरह साल 1986 में जीते चंद्रशेखर भी बाद में मंत्री बने। राजस्थान विवि से वर्ष 1979 में छात्रसंघ चुनाव जीतने वाले महेश जोशी मौजूदा अशोक गहलोत सरकार में मंत्री हैं, इससे पहले वह जयपुर शहर से सांसद रह चुके हैं। इसी तरह से साल 1981 से 86 तक राजस्थान विवि के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे रघु शर्मा पूर्व में अजमेर के सांसद रहे और राजस्थान सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने, मौजूदा वक्त में गुजरात कांग्रेस के प्रभारी हैं। इसी तरह राजस्थान विवि के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे प्रतापसिंह खाचरियावास मौजूदा गहलोत सरकार में मंत्री हैं। राजस्थान विवि के ही छात्रसंघ अध्यक्ष रहे महेंद्र चौधरी विधायक हैं और विधानसभा में उप मुख्य सचेतक हैं।
साल 1974 में आरयू के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे कालीचरण सर्राफ पूर्व में चिकित्सा मंत्री रहे, वर्तमान में विधायक हैं। ऐसे ही वर्ष 1978 में राजस्थान विवि के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे राजेंद्र राठौड़ पंचायती राज मंत्री रह चुके हैं, वह लगातार सात बार से विधायक हैं। वर्ष 1980 में राजस्थान विवि के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे राजपाल सिंह शेखावत पूर्व सरकार में उद्योग मंत्री रह चुके हैं। ठीक इसी तरह से साल 1997 में छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गये हनुमान बेनीवाल नागौर से सांसद और आरएलपी के सुप्रीमो हैं, वह तीन बार विधायक भी रहे हैं। बेनीवाल के दो साल बार 1999 में छात्रसंघ चुनाव जीते राजकुमार शर्मा पूर्व में मंत्री और मौजूदा वक्त ने मुख्यमंत्री के सलाहकार हैं। साल 2002 में अध्यक्ष रहे अशोक लाहोटी वर्तमान में सांगानेर से विधायक हैं और पूर्व में जयपुर के मेयर रह चुके हैं। उनके बाद 2003 में राजस्थान यूनिवर्सिटी में अध्यक्ष रहे जितेन्द्र मीणा एसटी आयोग के उपाध्यक्ष बतौर राज्यमंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में भाजपा में अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
विवि के उपाध्यक्ष रहे कैलाश वर्मा बगरू से विधायक बनकर वसुंधरा सरकार में राज्यमंत्री रह चुके हैं। राजस्थान भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां राजस्थान विवि के छात्रसंघ चुनाव में अपना भाग्य आजमा चुके हैं, हालांकि किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया, लेकिन उसी के दम पर पहली बार 1999 में भाजपा ने उपचुनाव में उनको टिकट दिया था। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर से अशोक गहलोत ने छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। हालांकि, अशोक गहलोत 1974 से 1979 तक एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष रहे। गहलोत तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री है. वहीं वर्तमान में मोदी सरकार में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत वर्ष 1992-93 में जेएनवीयू यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। इसी तरह जेएनवीयू में अध्यक्ष रहे मेघराज लोहिया राज्यमंत्री और बाबू सिंह शेरगढ़ से विधायक हैं। मौजूदा वक्त में छात्रसंघ अध्यक्ष रविंद्र भाटी खासे लोकप्रिय हैं, जो आने वाले दिनों में मारवाड़ की राजनीति की धुरी बन सकते हैं.
सीपी जोशी वर्ष 1973 में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, यानी एमबी कॉलेज से छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। पहली बार सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में 1975 में हुए चुनाव भी सीपी जोशी लड़े थे। वसुंधरा सरकार में यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी 1978, चित्तौड़गढ़ सरकारी कॉलेज के अध्यक्ष रहे हैं। वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी 1995-96 में चित्तौड़गढ़ काॅलेज के उपाध्यक्ष रहे। पिछले कुछ चुनाव से दर्जनभर से ज्यादा छात्रनेता दावेदारी पेश कर रहे हैं। कुछ को टिकट मिला, लेकिन जीत नहीं मिली. हालांकि कुछ जीतने में कामयाब हुए. कई अब भी टिकट की दौड़ में शामिल है .जैसे मोहनलाल सुखाड़िया आट्‌र्स कॉलेज में पूर्व अध्यक्ष डाॅ. दिलीप सिंह सिसोदिया भीम सीट से दावेदार हैं। एनएसयूआई अध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया संगरिया से दावेदारी कर रहे हैं। एनएसयूआई के उदयपुर जिलाध्यक्ष रहे दीपक मेवाड़ा बड़ी सादड़ी से दावेदारी कर रहे हैं। आरयू में अध्यक्ष रहे मनीष यादव शाहपुरा सीट 2018 का पिछला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर हार चुके हैं. 2023 के चुनाव लड़ने की तैयारी अब भी जारी हैं.
एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव रहे विपिन यादव कपासन सीट से दावेदार हैं। पूर्व एनएसयूआई अध्यक्ष मुकेश भाकर लाडनूं से पिछले 2018 के चुनाव में विधायक बन गए, आरयू में अध्यक्ष रहे अनिल चौपड़ा जयपुर ग्रामीण और सांगानेर से दावेदारी कर रहे है. वही डॉ. अखिल शुक्ला सांगानेर से दावेदारी कर रहे हैं। इसी तरह एनएसयूआई के उपाध्यक्ष रहे हरिदान चारण कोलायत से, सुखाड़िया विश्वविद्यालय की के अध्यक्ष रहे दुर्गा सिंह राठौड़ बाली सीट से दावेदारी कर रहे हैं। एनएसयूआई अध्यक्ष रहे राकेश मीणा बस्सी से दावेदार हैं। एनएसयूआई के अध्यक्ष अभिषेक चौधरी भी अपनी सीट तलाश रहे हैं, वह अशोक गहलोत के खास बने हुये हैं। राजस्थान विवि की छात्रसंघ अध्यक्ष रहीं प्रभा चौधरी बायतु से तगड़ी दावेदार हैं। पवन यादव से लेकर अंकित धायल अखिलेश पारीक, पूजा वर्मा, विनोद जाखड़, कानाराम जाट, शंकर गोरा, सतवीर चौधरी, राजेश मीणा समेत एक लंबी सूची है, जिनमें से कई नेता अपने लिए विधानसभा या लोकसभा की सीट तलाशने में जुटे हैं.

Post a Comment

Previous Post Next Post