विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तानी मंत्री हिना रब्बानी का मुंह बंद किया

Ram Gopal Jat
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में गुरुवार रात भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने पाकिस्तान की मंत्री हिना रब्बानी को ऐसा जवाब दिया कि पूरा विश्व देखता रह गया। अमेरिका से लेकर चीन और जापान से लेकर इस्राइल तक किसी को भारत के इस तरह के बयान की कभी कल्पना नहीं की होगी। दुनिया में पनप रहे आतंकवाद पर भारत के विदेश मंत्री जयशंकर के इस बयान से ना केवल पाकिस्तान, बल्कि चीन और अमेरिका तक सोचने पर मजबूर हो गये। यह बात सही है कि बीते एक साल में जयशंकर ने भारत के विदेश में छवि को जो ब्रांडिंग बनाई है, वह अपने आप में बहुत बड़ी जीत है, किंतु फिर भी अमेरिका और चीन जैसी महाशक्तियों ने कभी नहीं सोचा होगा कि भारत इस तरह से पाकिस्तान की खूबसूरत मंत्री हिना रब्बानी को लपेट लेंगे। जयशंकर ने कहा कि सांप पालने वाले देश ये न सोचें कि सांप केवल दूसरों को डसेगा, वो पालने वालों को भी डस सकता है।
दरअसल, UNSC में पाकिस्तानी मंत्री हिना रब्बानी ने भारत को आतंकवाद फैलाने वाला देश कहा था। इस पर जयशंकर ने हिना रब्बानी को हिलेरी क्लिंटन की 11 साल पुरानी बात याद दिलाई। साल 2011 में पाकिस्तान दौरे पर गई अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा था कि अगर अपने पीछे सांप पालोगे तो यह उम्मीद मत करना कि वो सिर्फ आपके पड़ोसियों को काटेंगे, वह आपको और आपके लोगों को भी काटेंगे। जयशंकर के इस बयान से पाकिस्तान की महिला मंत्री के चेहरे के भाव देखने लायक थे। भारत के भोले से दिखने वाले विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि दुनिया बेवकूफ नहीं है, दुनिया आतंकवाद में शामिल देश, संगठन के बारे में अच्छी तरह से जानती है और इस पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है। आज दुनिया पाकिस्तान को आतंकवाद के सेंटर के रूप में देख रही है। वैसे तो पाकिस्तान को सही सलाह अच्छी नहीं लगती, लेकिन फिर भी भारत की सलाह है कि पाकिस्तान ये सब छोड़ कर एक अच्छा पड़ोसी बनने की कोशिश करें, ताकि दोनों देश वि​कास करके अपने नागरिकों को बेहतर जीवन की सुविधाएं दे सकें।
UNSC ब्रीफिंग के दौरान एक पाकिस्तानी पत्रकार ने जब जयशंकर से पूछा कि आतंकवाद कब खत्म होगा? इसके जवाब में जयशंकर ने कहा कि अगर आप मुझसे ये सवाल कर रहे हैं तो आप गलत मंत्री से बात कर रहे हैं। आपको पाकिस्तान के मंत्रियों से ये सवाल करना चाहिए। वो ही बताएंगे कि ये सब कब खत्म होगा या कब तक वो आतंकवाद को बढ़ावा देने का इरादा रखते हैं। इस पर हिना रब्बानी बगलें झांक रही थीं, और भारत का रुतबा साफ तौर पर सूरज की तरह चमक रहा था। विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने कहा कि जवाबदेही आतंकवाद का मुकाबला करने का आधार होना चाहिए। आतंकवाद अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए आने वाले समय में खतरा है। इसकी कोई सीमा या राष्ट्रीयता नहीं बची है। ये पूरे विश्व लिए एक चुनौती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर मुकाबला करना चाहिए।
दुनिया में आतंकवाद के गंभीर रूप लेने से पहले ही भारत ने पाकिस्तान से सटी सीमा पार इसका सामना किया। दशकों में भारत के हजारों निर्दोष लोगों ने जान गंवाई। फिर भी भारत ने डटकर इसका सामना किया। भारत तब तक चैन से नहीं बैठेगा, जब तक आतंकवाद को जड़ से खत्म नहीं कर देगा। उन्होंने पाकिस्तानी मंत्री हिना की तरफ इशारा किये बिना बता दिया कि भारत में आतंकवाद कौन फैला रहा है और इसको खत्म करने के लिये फिर एयर स्ट्राइक जैसा एक्शन लिया जा सकता है। भारतीय विदेश मंत्री के हावभाव से पाकिस्तानी मंत्री हिना रब्बानी हक्की बक्की रह गईं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद रोधी ढांचा चार बड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है। इनमें आतंकियों की भर्ती, टेरर फंडिंग, जवाबदेही और उनके कार्य करने के तरीके सुनिश्चित करना, आतंकवाद का मुकाबला करने में दोहरे मानकों को संबोधित करना और इनमें शामिल उभरती हुई नई तकनीक का गलत इस्तेमाल शामिल है। उनका इशारा सीधे तौर पर आतंकी बनाने वाले पाकिस्तान और आतंकियों को बचाने वाले चीन के गठजोड़ की ओर था।
लेकिन समझने वाले बात यह है कि भारत की विदेश नीति को इतनी धार मिली कैसे? इससे पहले भी भारत आतंकवाद से जूझ रहा था और बयान भी देता था, लेकिन जिस तरह से सीधे सपाट जवाब और प्रश्न खड़े किये जा रहे हैं, वैसा भारत ने कभी नहीं किया था। विदेश मामलों के जानकार कहते हैं कि जयशंकर को मोदी सरकार में उतनी ही पॉवर मिली हुई है, जितनी अमित शाह को है। यही वज है कि वह भारत की मजबूती को विश्वपटल पर पूरी सिद्धत और आत्मविश्वास से रख पा रहे हैं। इस बीच भारत के लिये मित्र देश की तरह पेश आने वाले मुस्लिम देश ईरान के खिलाफ अमेरिका द्वारा लाये गये प्रस्ताव से भारत ने दूरी बनाकर साबित कर दिया कि चाहे भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय कारोबार सर्वाधिक होगा, लेकिन फिर भी भारत वही करेगा, जिससे उसका फायदा होगा। दिसंबर महीने में यूएनएससी की अध्यक्षता कर रहे भारत ने एक तरह से अमेरिका को भी यह चेतावनी दे दी है कि एफ16 के लिये हाल में पाकिस्तान को जो सहायता दी गई थी, वह भी गलत थी और आगे से ऐसा नहीं किया जाये।
राजनीतिक प्रभाव, आर्थिक समृद्धि ओर तकनीकी विकास में भारत की स्थिति में जिस तेजी से बदलाव आये हैं, दुनिया का उसकी ओर ध्यान दिखाने के लिये विदेश मंत्री एस जयशंकर का संयुक्त राष्ट्र में दिया गया संबोध​न काफी अहम है। उन्होंने दमदारी से ना सिर्फ अपने देश, बल्कि अन्य छोटे देशों की आवास भी बुलंद की है। खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के मामले में उन्होंने साफ कर कर दिया है कि भारत ही नहीं, बल्कि एशिया, दक्षिण अफ्रिका और लैटिन अमेरिकी देशों को भी जगह मिलनी चाहिये। विदेश मंत्री ने परोक्ष रुप से दुनिया को बता दिया है कि अब वो परिस्थितियां नहीं रहीं जब चार पांच विकसित देश ही दुनिया के बारे में फैसला कर लेते थे। पिछले दशकों में हम देख रहे हैं कि किस तरह विकसित कहे जाने वाले देशों का हमेशा दोहरा बर्ताव रहा है। आतंकवाद से भारत लंबे समय तक पीड़ित रहा है। अमेरिका जैसी महाशक्ति को आतंकवाद की चिंता उस वक्त हुई, जब आतंकी संगठन अल कायदा ने ट्विन टावार को निशाना बनाया। यह जानते हुये भी पाकिस्तानी आतंकियों की पनाहगाह है, चीन और तुर्की जैसे देश उसकी मदद करते हैं और पश्चिमी देशों ने थोथी बयानबाजी के अतिरिक्त कुछ नहीं किया है। इसके विपरीत आर्थिक रुप से उसकी मदद करते रहे हैं, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान ने आतंकियों की नर्सरी तैयारी करने में किया है।
इसलिये विदेश मंत्री जयशंकर ने यह ठीक ही कहा है कि सुरक्षा परिषद में सुधार की बातें तो खुब होती हैं, पर होता कुछ भी नहीं है। भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। काफी कम से में भारत ने ब्रिटेन को पछाड़कर जो उपलब्धि हासिल की है, वह पश्चिमी जगत को पसंद नहीं आई होगी। आयुध सामग्री और अंतरिक्ष विज्ञान में भारत अपना लोहा मनवा रहा है। भारत से बड़ी अर्थव्यवस्था वाले चीन के मुकाबले दुनिया में हमारी साख अधिक है। कोरोनाकाल में भारत द्वारा इसे साबित भी किया गया है। इसी महीने भारत को जी20 देशों के सम्मेलन की अध्यक्षता का मौका मिलना भी एक बड़ी उपलब्धि है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी भारत में निवास करती है और जल्द ही भारत विश्व का सबसे अधिक जनंसख्या वाला देश बना जायेगा।
भारत आज तीन ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बन चुका है, जबकि मोबाइल इंटरनेट से लेकर यूपीआई भीम जैसे डिजीटल ट्रांजेक्शन जैसे कई मोर्चों पर अमेरिका जैसे देशों से आगे निकल चुका है। बड़े रक्षा उपकरणों को छोड़कर सभी तरह के उपकरण भारत बना रहा है और निर्यात भी कर रहा है। कई देशों ने भारत से युद्ध सामग्री खरीदने में रुचि दिखाई है। इसे हजम करने के बजाये विकसित देशों की भारत को हर ओर से घेरने की कोशिश हो रही है। पिछले कुछ समय से भारत दुनिया की यह बताने की कोशिश कर रहा है कि हम किसी महाशक्ति के प्रति झुकाव नहीं रखते, बल्कि हम खुद एक महाशक्ति हैं। रूस यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थता से यह साबित भी होता है। इसलिये अब सुरक्षा परिषद में सुधार पर जोर देना और अपना दावा रखना भारत के लिये जरुरी हो गया है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कुछ दिनों पहले ही कहा था कि कांग्रेस ने भारत को मिलने वाली यूएनएससी की स्थाई सीट चीन को सौंप दी थी। माना जाता है कि आजादी के बाद 50 के दशक में एक समय ऐसा था, जब भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उसको ठुकराकर चीन को देने का प्रस्ताव दे दिया। और अब सोचनीय बात यह है कि पिछले तीन दशकों से चीन ही भारत को शामिल होने से रोक रहा है। पांच स्थाई सदस्यों में चीन ही हर बार भारत की सदस्यता में अड़चनें डालता है।
मोदी सरकार के नंबर तीन माने जाने वाले विदेश मंत्री जयशंकर ने जिस जोरदार ढंग से सभी मुद्दों को उठाते हुये आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान और चीन को कारारी चोटें दी हैं, उससे एक बात साफ हो गई है कि भारत अब किसी देश की दादागिरी को चुपचाप बर्दास्त नहीं करने वाला है। भारत ने एक महीने के लिये मिली अध्यक्षता का जिस बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया है, वह यही दिखाता है कि भारत की विदेश नीति को कमजोर आंकाने वालों को अब अपने गिरहबान में झांकने की जरुरी है। भारत की विपक्षी पार्टियां अपने वोटबैंक के लिये सरकार पर चीन के मामले में आरोप भले ही लगाती हों, लेकिन यह बात सभी जानते हैं कि विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत का जिस तरीके से अपना पक्ष रखा है, उसकी विश्वभर में खूब वाहवाही हो रही है।

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