राजस्थान की राजनीति में हनुमान बेनीवाल एक ऐसा नाम बन चुके हैं, जो सत्ता के खिलाफ खड़े होकर युवाओं, जवानों और किसानों की आवाज़ बनते हैं। प्रदेश के किसी भी कोने से आवाज आती है तो बिना जाति और धर्म देखे हनुमान बेनीवाल न्याय दिलाने के लिए पहुंच जाते हैं। रविवार, 25 मई 2025 को जयपुर में आयोजित "युवा आक्रोश महारैली" इसका ताजा उदाहरण है, जिसमें उन्होंने 2021 की एसआई भर्ती परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। इसको लेकर तकरीबन एक महीने से खुद धरने पर बैठे हैं, जबकि इसी विषय पर मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की अपनी ही सरकार में सुनवाई नहीं होने के कारण थक गए हैं।
हनुमान बेनीवाल यूं ही लड़ाका नहीं बने। उन्होंने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। रातों को जागना और थपेड़े मारती लू में भी आंदोलन करना उनका सगल बन गया है। उनका जन्म 2 मार्च 1972 को नागौर जिले के बरनगांव में हुआ। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। 1997 में वे राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष बने, जहां से उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ।2008 में बेनीवाल ने भाजपा के टिकट पर खींवसर विधानसभा सीट से चुनाव जीता। लेकिन 2013 में उन्होंने पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, जिसमें वे विजयी रहे। 2018 में उन्होंने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य किसानों और युवाओं के मुद्दों को प्रमुखता देना था। 2021 में आयोजित एसआई भर्ती परीक्षा में पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं के आरोप लगे। एसओजी ने इस मामले में 50 से अधिक ट्रेनी एसआई को गिरफ्तार किया, लेकिन सरकार ने परीक्षा को रद्द नहीं किया। इसको लेकर एसओजी, डीजीपी और कैबिनेट सब कमेटी भी सिफारिश कर चुकी है, लेकिन सरकार जिद करके बैठी हुई है।
हनुमान बेनीवाल ने 26 अप्रैल 2025 से जयपुर के शहीद स्मारक पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह दोषियों को बचा रही है और युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। 25 मई को उन्होंने मानसरोवर मैदान में "युवा आक्रोश महारैली" का आयोजन किया, जिसमें एक लाख से अधिक युवाओं के शामिल होने की संभावना जताई गई। 23 मई को भाजपा के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने शहीद स्मारक पर पहुंचकर आंदोलनरत युवाओं से मुलाकात की और उन्हें समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि वे भी लंबे समय से इस परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं और युवाओं की पीड़ा को समझते हैं।
यह आंदोलन राज्य की राजनीति में नए समीकरण बना रहा है। जहां एक ओर भाजपा के मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने आंदोलन का समर्थन किया है, वहीं कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। बेनीवाल ने कांग्रेस पर भी आरोप लगाया है कि यह घोटाला उनके शासनकाल में हुआ था, इसलिए वे अब चुप हैं। एसआई भर्ती परीक्षा को लेकर उठे विवाद ने राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा दी है। हनुमान बेनीवाल का आंदोलन और 25 मई की हुंकार रैली सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और युवाओं के आक्रोश को कैसे शांत करती है। देखना यह भी दिचस्प ही होगा कि हनुमान बेनीवाल इस भर्ती को रद्द करवाकर धरना खत्म करते हैं या किरोड़ी लाल मीणा की तरह थक जाते हैं। बेनीवाल का इतिहास देखा तो किसी भी आंदोलन में न्याय लिए बिना पीछा नहीं छोड़ा है। इसलिए जब उन्होंने एसआई भर्ती रद्द करने के लिए धरना देने का ऐलान किया, तब से सरकार की हालत खराब है। अपनी सभी एजेंसियों को बेनीवाल की पूरी टीम के पीछे लगा रखा है। फिर भी यदि उन्होंने प्रदेश के करीब 8 लाख युवाओं की इस मांग को पूरा करवा लिया तो निश्चित ही उनका कद काफी बढ़ने वाला है।
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